अमेरिकी लेखक बिल ब्रायसन ने पुस्तक की गलती को सुधारने के लिए दिल्ली के छात्र को दिया श्रेय

अमेरिकी लेखक बिल ब्रायसन ने पुस्तक की गलती को सुधारने के लिए दिल्ली के छात्र को दिया श्रेय

अमेरिकी लेखक बिल ब्रायसन ने पुस्तक की गलती को सुधारने के लिए दिल्ली के छात्र को दिया श्रेय
Modified Date: December 7, 2025 / 07:21 pm IST
Published Date: December 7, 2025 7:21 pm IST

नयी दिल्ली, सात दिसंबर (भाषा) अमेरिकी-ब्रिटिश लेखक बिल ब्रायसन ने अपनी लोकप्रिय विज्ञान पुस्तक ‘ए शॉर्ट हिस्ट्री ऑफ नियरली एवरीथिंग 2.0’ के नवीनतम संस्करण में दिल्ली के एक स्कूली छात्र को एक व्युत्पत्ति संबंधी गलती को चिन्हित करने का श्रेय दिया है। व्युत्पत्ति संबंधी यह गलती 20 वर्षों से अधिक समय से पकड़ में नहीं आई थी।

पुस्तक के इस अद्यतन संस्करण में, ब्रायसन ने दिल्ली के एयर फोर्स बाल भारती स्कूल (एएफबीबीएस) के 11वीं कक्षा के छात्र कनिष्क शर्मा को व्युत्पत्ति संबंधी एक त्रुटि को सुधारने के लिए धन्यवाद दिया है। लोकप्रिय लेखक की पुस्तक में व्युत्पत्ति संबंधी यह त्रुटि पिछले करीब 20 वर्षों से मौजूद थी और इसे कोई पकड़ नहीं सका था।

इस मुद्दे की शुरुआत ब्रायसन की पुस्तक के 2003 के संस्करण से हुई, जिसमें गलती से क्षुद्रग्रह शब्द को लैटिन में ‘तारे जैसा’ बताया गया था। हालांकि वास्तव में यह शब्द ग्रीक भाषा से आया है – जो एस्टे से लिया गया है और इसका अर्थ है ‘तारे जैसा’। यह गलती तब तक किसी की नजर में नहीं आई जब तक कि शर्मा ने पिछले वर्ष जून में पुस्तक पढ़ते समय इसे नहीं देख लिया।

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इसके बाद उन्होंने प्रकाशक पेंगुइन रैंडम हाउस-ब्रिटेन से संपर्क किया, जिसने उनका संदेश ब्रायसन तक पहुंचाया। अब नवीनतम संस्करण में संशोधित व्याख्या दी गई है।

नवीनतम संस्करण में अब सही स्पष्टीकरण दिया गया है।

कनिष्क शर्मा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ ब्रायसन ने मेरे ई-मेल का जवाब देते हुए कहा कि वह मेरे सुझावों की समीक्षा करेंगे और यदि वे सही होंगे तो वे उन्हें सही कर देंगे तथा आभार-पत्र में उनका उल्लेख भी शामिल करेंगे। उन्होंने अपना वादा निभाया, और अब मेरा नाम नए संस्करण की स्वीकृति में छपा है। यह जानकर बहुत अच्छा लग रहा है कि मैं कुछ ऐसा योगदान दे पाया हूं जो पहले पुस्तक के लाखों पाठकों की नजरों से ओझल रहा था। ’’

कनिष्क के योगदान की उनके स्कूल की प्रधानाचार्य सुनीता गुप्ता ने भी औपचारिक रूप से प्रशंसा की है।

भाषा रवि कांत रवि कांत नरेश

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