असम के नगांव में अतिक्रमण रोधी अभियान जारी, 1700 से अधिक परिवार प्रभावित

असम के नगांव में अतिक्रमण रोधी अभियान जारी, 1700 से अधिक परिवार प्रभावित

असम के नगांव में अतिक्रमण रोधी अभियान जारी, 1700 से अधिक परिवार प्रभावित
Modified Date: November 29, 2025 / 09:00 pm IST
Published Date: November 29, 2025 9:00 pm IST

(तस्वीरों के साथ)

गुवाहाटी, 29 नवंबर (भाषा) असम के नगांव जिले में सरकारी और वन क्षेत्र की 795 हेक्टेयर भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए शनिवार को अभियान शुरू किया गया, जहां करीब 1,700 परिवार रहते हैं। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

अधिकारियों ने कहा कि लुतीमारी इलाके में भारी सुरक्षा के बीच सुबह अभियान शुरू किया गया, जो शाम चार बजे तक जारी रहा। उन्होंने कहा कि यह अभियान रविवार को भी जारी रहेगा।

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एक अधिकारी ने बताया कि अतिक्रमण करने वालों को तीन महीने पहले नोटिस जारी करके दो महीने के अंदर जगह खाली करने को कहा गया था। उन्होंने जगह खाली करने के लिए एक और महीने का समय मांगा था और जिला प्रशासन इस पर मान गया।

उन्होंने कहा कि पक्के और कच्चे दोनों तरह के मकानों में रहने वाले 1,100 से अधिक परिवार पहले ही अपना सामान लेकर जा चुके हैं और गैर-कानूनी तरीके से बने ढांचों को तोड़ दिया गया है।

अधिकारी ने बताया कि ध्वस्त की गईं संरचनाओं में सात आंगनवाड़ी केंद्र, दो प्राथमिक विद्यालय, एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और जल जीवन मिशन के जल उपचार संयंत्र शामिल हैं।

उन्होंने बताया कि तोड़फोड़ अभियान के लिए करीब 50 बुलडोजर लगाए गए हैं।

कुछ लोगों ने दावा किया कि वे इस इलाके में 40 साल से अधिक समय से रह रहे हैं और उन्हें पता नहीं था कि यह जंगल की जमीन है।

मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने पहले दावा किया था कि मई 2021 में उनके सत्ता संभालने के बाद से 160 वर्ग किलोमीटर से अधिक जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराया गया है।

उनके मुताबिक, इस तरह के अतिक्रमण रोधी अभियानों की वजह से 50,000 से अधिक लोगों को हटाया गया है।

थोड़े समय के अंतराल के बाद 16 जून से अभियान फिर से शुरू हुए और तब से 5,000 से अधिक परिवारों को हटाया जा चुका है।

हटाए गए अधिकतर लोग बांग्ला भाषी मुस्लिम समुदाय से हैं, जिनका दावा है कि उनके पूर्वज उन इलाकों में बस गए थे जहां अतिक्रमण रोधी अभियान चलाया जा रहा है क्योंकि ब्रह्मपुत्र के कटाव के कारण ‘चार’ या नदी के किनारे के इलाकों में उनकी जमीन बह गई थी।

भाषा शफीक धीरज

धीरज


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