नगालैंड में नागरिकों की हत्या के मामले में सेना ने कोर्ट ऑफ इंक्वायरी पूरी की |

नगालैंड में नागरिकों की हत्या के मामले में सेना ने कोर्ट ऑफ इंक्वायरी पूरी की

नगालैंड में नागरिकों की हत्या के मामले में सेना ने कोर्ट ऑफ इंक्वायरी पूरी की

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:47 PM IST, Published Date : May 16, 2022/9:04 pm IST

गुवाहाटी, 16 मई (भाषा) सेना के पूर्वी कमान के प्रमुख ने सोमवार को कहा कि नगालैंड में गोलीबारी की घटना की ‘कोर्ट ऑफ इंक्वायरी’ पूरी कर ली गई है।

नगालैंड में पिछले साल दिसंबर में सैनिकों की गोलीबारी में 12 से अधिक नागरिकों की मौत हो गई थी।

मोन जिले के ओटिंग इलाके में एक असफल अभियान और उसके बाद हुई हत्याओं को लेकर सेना ने कोर्ट ऑफ इंक्वायरी (सीओआई) शुरू की थी, जबकि राज्य सरकार ने घटना की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था।

पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल आर पी कलिता ने कहा, “यह गलत पहचान और निर्णय की त्रुटि का मामला था। सेना की सीओआई पूरी हो गई है और अभी इसकी पड़ताल की जा रही है। हमें एसआईटी की रिपोर्ट भी मिली है और दोनों का विश्लेषण किया जा रहा है।”

उन्होंने कहा कि अगर कोई चूक या किसी के द्वारा गलती पाई जाती है तो उसके पद के बारे में विचार किए बगैर कार्रवाई की जाएगी।

लेफ्टिनेंट जनरल कलिता ने कहा कि सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम (आफस्पा) दशकों से पूर्वोत्तर राज्य में लागू है और अशांत इलाकों में सैनिकों को कुछ छूट देता है, लेकिन यह कानून निरंकुश नहीं है।

सैन्य कमांडर ने कहा, “मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) का पालन करना होता है। कई बार (एसओपी से) भटकाव हुए हैं। जब भी कोई भटकाव हुआ है ऐसा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई है। इस मामले में भी, सैन्य अधिनियम और देश के कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी।”

ओटिंग में सैन्य कर्मियों द्वारा गोलीबारी में लोगों की मौत के बाद नगालैंड में आफस्पा को हटाने की मांग को लेकर व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए थे।

आफस्पा सुरक्षा बलों को बिना किसी पूर्व वारंट के कार्रवाई करने और किसी को भी गिरफ्तार करने का अधिकार देता है, इसके अलावा सुरक्षा बलों को किसी की हत्या करने पर गिरफ्तारी और अभियोजन से छूट प्रदान करता है।

नगालैंड के सात जिलों के 15 थाना क्षेत्रों से एक अप्रैल से आफस्पा को हटा दिया गया।

पिछले साल चार दिसंबर को काम से लौट रहे छह कोयला खदान कर्मी ओटिंग में सुरक्षा बलों की गोलीबारी में मारे गए थे, जबकि सात अन्य लोगों को उस वक्त गोली मार दी गई, जब सेना के ट्रक पर गोलियों से छलनी शवों को देखने के बाद ग्रामीण गुस्से में जवानों से भिड़ गए।

इस दौरान एक सुरक्षाकर्मी भी मारा गया। अगले दिन मोन में असम राइफल्स के शिविर पर भीड़ के हमले के दौरान एक और नागरिक की मौत हो गई।

नागालैंड सरकार ने पांच सदस्यीय एसआईटी का विस्तार कर उसे 22 सदस्यीय जांच दल बना दिया और इसे सात समूहों में विभाजित किया था।

सेना की कोर्ट ऑफ इंक्वायरी का नेतृत्व मेजर जनरल रैंक के एक अधिकारी ने किया।

भाषा

प्रशांत सुभाष

सुभाष

 

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