पुरी, 12 अगस्त (भाषा) भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) से ओडिशा के पुरी में स्थित 12वीं सदी के मंदिर का ‘भीतर रत्न भंडार’ खोलने की अपील की है।
एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद् ने एसजेटीए के मुख्य प्रशासक को लिखे पत्र में कहा कि रत्न भंडार (कोषागार) के आंतरिक कक्ष को इसकी स्थिति और संरचना पर जलवायु के किसी भी संभावित प्रभाव का निरीक्षण करने के लिए खोला जाना चाहिए।
एएसआई ने राज्य के कानून विभाग और पुरातात्विक अनुसंधान एवं देश की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिए जिम्मेदार प्रमुख संगठन के महानिदेशक को भी इस पत्र की प्रतियां भेजी हैं।
एएसआई का यह पत्र मंदिर प्रबंधन समिति के अध्यक्ष गजपति महाराज दिव्यसिंह देब द्वारा ‘रत्न भंडार’ को खोलने का आग्रह किए जाने के बाद आया है।
मंदिर प्रबंधन समिति ने छह जुलाई को हुई अपनी बैठक में रत्न भंडार के अंदरूनी कक्ष को खोलने का मुद्दा भी उठाया था। जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार में कम से कम दो कक्ष हैं।
मंदिर सूत्रों के मुताबिक, ‘बाहर भंडार’ में देवी-देवताओं द्वारा रोजाना धारण किए जाने वाले आभूषण रखे जाते हैं, जबकि ‘भीतर भंडार’ में अन्य जेवरात सहेजे गए हैं।
उड़ीसा उच्च न्यायालय के निर्देश पर अप्रैल 2018 में ‘रत्न भंडार’ के भीतरी कक्ष को खोलने का प्रयास किया गया था, लेकिन चाबी न मिलने के कारण इसमें सफलता हासिल नहीं हो सकी थी। लिहाजा एएसआई अधिकारियों, पुजारियों व अन्य लोगों की एक टीम ने बाहर से ही रत्न भंडार का निरीक्षण किया था।
इससे पहले, भगवान जगन्नाथ मंदिर का ‘रत्न भंडार’ 1978 और 1982 में खोला गया था।
भाषा पारुल दिलीप
दिलीप
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में मतदान के दौरान कई…
33 mins ago