असम: नयी पीढ़ी में पढ़ने की आदत विकसित करने के लिए ‘नि:शुल्क’ पुस्तक मेले का आयोजन

असम: नयी पीढ़ी में पढ़ने की आदत विकसित करने के लिए ‘नि:शुल्क’ पुस्तक मेले का आयोजन

असम: नयी पीढ़ी में पढ़ने की आदत विकसित करने के लिए ‘नि:शुल्क’ पुस्तक मेले का आयोजन
Modified Date: December 7, 2025 / 05:47 pm IST
Published Date: December 7, 2025 5:47 pm IST

(सुष्मिता गोस्वामी)

उत्तरी लखीमपुर (असम), सात दिसंबर (भाषा) उत्तरी असम के एक ग्रामीण इलाके में रविवार को एक पुस्तक मेले का आयोजन किया गया जहां लोगों में पढ़ने की आदत को बढ़ावा देने के लिए निशुल्क किताबें बांटी गईं। आयोजकों का दावा है कि यह दुनिया में अपनी तरह की अनूठी पहली पहल है।

गुवाहाटी से 350 किलोमीटर दूर लखीमपुर जिले के आजाद क्षेत्र में आयोजित एक दिवसीय पुस्तक मेले में सभी आगंतुकों, विशेष रूप से छात्रों को किताबें नि:शुल्क दी गईं।

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यह पुस्तक मेला जोनोहितोखी लाइब्रेरी के बैनर तले आयोजित किया गया। पुस्तकालय के मालिक एवं प्रोपराइटर जिबंता सैकिया ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “यह पहली बार था जब दुनिया में कहीं नि:शुल्क पुस्तक मेले का आयोजन किया गया। हमारा उद्देश्य, लोगों, खासकर नई पीढ़ी में पढ़ने की आदत को विकसित करना है।”

उन्होंने कहा कि प्रख्यात लेखक दिवंगत होमेन बरगोहाईं की जयंती के अवसर को मुफ्त पुस्तक मेले के आयोजन के लिए चुना गया। वह इसी जिले से थे और पुस्तकों के पठन-पाठन के प्रबल समर्थक थे।

सैकिया ने कहा, “हमने बरगोहाईं की जयंती को पुस्तकों और पठन-पाठन को समर्पित दिवस के रूप में मनाने के साथ ही निःशुल्क पुस्तक मेले को हम सभी के चहेते जुबिन गर्ग की स्मृति को समर्पित किया।”

वरिष्ठ पत्रकार एवं आयोजन समिति के सलाहकार बुबुल हजारिका ने बताया कि पुस्तक मेले के लिए राज्यभर के दानदाताओं से लगभग 40,000 पुस्तकें एकत्रित की गईं।

उन्होंने कहा, “हमने लगभग 20,000 पाठकों को निःशुल्क पुस्तकें प्रदान कीं। छात्रों को दो-दो पुस्तकें और अन्य आगंतुकों को एक-एक पुस्तक दी गई।”

हजारिका ने बताया, “खासकर ग्रामीण इलाकों में कई छात्र ऐसे हैं जो दूर-दराज इलाके में रहने या आर्थिक तंगी के कारण अच्छी किताबों तक नहीं पहुंच पाते। हम हरसंभव तरीके से इस कमी को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं।”

इस आयोजन के लिए किताबें दान करने वाली गुवाहाटी स्थित संपादक एवं कॉलम लेखक मैनी महंता ने कहा कि यह एक अच्छी पहल है और इसे हर साल आगे बढ़ाया जाना चाहिए।

उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, “यह एक बहुत अच्छी पहल है, और इसलिए भी क्योंकि यह (पुस्तक मेला) एक ग्रामीण इलाके में हुई है। आयोजकों ने जुबिन के किताबों के प्रति प्रेम को उनके संगीत प्रेमियों, विशेषकर नई पीढ़ी के बीच पहुंचाया। यह सराहनीय है।”

भाषा खारी नरेश

नरेश


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