(जतिन टक्कर)
शिमला, 17 नवंबर (भाषा) अनावश्यक कानूनों के लिए ‘सनसेट क्लॉज’ की अपील करते हुए राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने बुधवार को कहा कि सदन के पटल पर पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा दिये गये आश्वासन ‘‘खोखले वादे’’ जैसे हैं और कहा कि कुछ तो देश भर के विधानमंडलों में 25-30 वर्षों से लंबित हैं।
‘सनसेट कलॉज’, कानून का यह प्रावधान है कि संबद्ध अधिनियम एक निर्धारित अवधि के बाद खुद ब खुद समाप्त हो जाएगा, बशर्ते कि कानून द्वारा उसमें विस्तार नहीं किया जाए।
हिमाचल प्रदेश विधानसभा द्वारा अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन के शताब्दी वर्ष समारोहों को संबोधित करते हुए हरिवंश ने कानून बनाने वाली विधायिकाओं को अधिक गतिशील बनाने के लिए विभिन्न सुधारों का सुझाव दिया। इन सब में एक ‘सनसेट कलॉज’ भी है।
उन्होंने कहा कि यह महसूस किया गया है कि सदन के पटल पर दिये गये आश्वासन कई विधानसभाओं में 25-30 वषों से लंबित हैं।
राज्यसभा के उपसभापति ने कहा, ‘‘…इसी तरह, विभिन्न मंत्रालयों से 842 आश्वासन राज्यसभा में पड़े हुए हैं, जिनमें से बड़ी संख्या में आश्वासन 10 साल से पहले के हैं। लोकसभा में आश्वासनों की स्थिति भी इसी तरह की होगी। आश्वासन कई साल पुराने हैं। वास्तविकता क्या है? सच यह है कि ये सब महज खोखले वादे हैं।’’
उन्होंने विस्तार से कहा कि लंबित आश्वासन पूर्ववर्ती सरकारों ने दिये थे जिन्हें काफी पहले सत्ता से बाहर कर दिया गया। उन सरकारों के पास ना तो कभी बजटीय प्रावधान था ना ही इन्हें सरकार की योजना में शामिल किया गया था।
हरिवंश ने कहा, ‘‘इस तरह से, हर कोई जानता है कि वे लागू नहीं होने जा रहे। अब तक…इन आश्वासनों पर संसदीय समिति की बैठकें हो रही हैं। सरकारी धन व्यय किया जा रहा है। क्या हमें इस तरह के प्रावधान की समीक्षा नहीं करनी चाहिए?’’
अनावश्यक कानूनों और एक सनसेट कलॉज का जिक्र करते हुए संसद के उच्च सदन के उपसभापति ने 2014 से 2019 के बीच 1,479 अनावश्यक कानूनों को निरस्त करने को लेकर (नरेंद्र) मोदी सरकार की सराहना की। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, इस तरह के 500 कानून उत्तर प्रदेश में पिछले चार वर्षों में निरस्त किये गये हैं, जबकि कर्नाटक में 2003 से 2020 तक 1,300 कानून निरस्त किये गये हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘कई देशों में पारित अधिनियमों में एक सनसेट कलॉज डाला जाता है, जिससे वे अधिनियम कुछ अवधि के बाद स्वत: ही समाप्त हो जाते हैं। यहां भी इस पर विचार किया जाना चाहिए। ’’
उल्लेखनीय है कि आश्वासन मंत्रियों द्वारा सदन में दिए जाते हैं। यह सदन में किसी विधायक/सांसद या पार्टी की मांग के जवाब में दिया जाता है।
भाषा सुभाष नरेश
नरेश
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