साम्प्रदायिक आधार पर प्रचार व सैन्य बलों का राजनीतिकरण करने से परहेज करें: निर्वाचन आयोग की हिदायत

साम्प्रदायिक आधार पर प्रचार व सैन्य बलों का राजनीतिकरण करने से परहेज करें: निर्वाचन आयोग की हिदायत

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  • Publish Date - May 22, 2024 / 07:14 PM IST,
    Updated On - May 22, 2024 / 07:14 PM IST

नयी दिल्ली, 22 मई (भाषा) निर्वाचन आयोग ने बुधवार को सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और विपक्षी कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए उन्हें लोकसभा चुनाव में जाति, समुदाय, भाषा और धर्म के आधार पर प्रचार करने से बचने की नसीहत दी और कहा कि चुनावों में देश के सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेश को नुकसान पहुंचाने की अनुमति नहीं दी सकती।

आयोग ने इसके साथ ही भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा और कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे से कहा कि स्टार प्रचारकों के बयान एक खास चलन का अनुसरण करते हैं और ऐसे विमर्श पैदा करते हैं जो आदर्श आचार संहिता के बाद भी नुकसानदेह हो सकते हैं।

आयोग की यह टिप्पणियां इन राजनीतिक दलों की शिकायतों के मद्देनजर दिए गए जवाबों पर आई है। विगत 25 अप्रैल को जारी नोटिसों पर आए इन दलों के जवाबों का जिक्र करते हुए चुनाव प्राधिकरण ने कहा कि अन्य राजनीतिक दलों के बयानों की तकनीकी खामियां या अतिवादी व्याख्या पार्टियों और उनके प्रचारकों को उनके अपने भाषणों की सामग्री की मुख्य जिम्मेदारी से मुक्त नहीं कर सकती है।

आयोग के मुताबिक यह सुधारात्मक होनी चाहिए और इसमें न ही प्रचार की गुणवत्ता को और कम किया जाना चाहिए।

निर्वाचन आयोग ने दोनों पार्टियों को आदर्श आचार संहिता के उन प्रावधानों की याद दिलाई जो कहते हैं कि कोई भी पार्टी या उम्मीदवार किसी ऐसी गतिविधि में शामिल नहीं होगा जो आपसी मतभेद को बढ़ा सकती है या नफरत पैदा कर सकती है या विभिन्न जातियों, समुदायों, धर्म या भाषा के बीच तनाव का कारण बनती है।

नड्डा को विपक्ष के इस आरोप पर नोटिस जारी किया गया था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राजस्थान के बांसवाड़ा में विभाजनकारी भाषण दिया था।

नोटिस के जवाब में नड्डा ने कहा कि भाजपा के स्टार प्रचारकों के बयान तथ्यों पर आधारित हैं और देश के सामने कांग्रेस के ‘गलत इरादों’ की पोल खोलते हैं।

उन्होंने आयोग से यह भी कहा था कि वोट बैंक की राजनीति के लिए कांग्रेस और ‘इंडिया’ गठबंधन ने एक राष्ट्र, उसकी पहचान, उसके मूल हिंदू धर्म के रूप में भारत का विरोध करना शुरू कर दिया है।

आयोग ने नड्डा के बचाव को खारिज करते हुए इसे ‘मान्य नहीं’ बताया और उन्हें तथा उनकी पार्टी के स्टार प्रचारकों को धार्मिक और सांप्रदायिक आधार पर प्रचार करने से परहेज करने को कहा। आयोग ने भाजपा से समाज को बांटने वाले चुनाव प्रचार पर रोक लगाने को भी कहा।

आयोग ने उम्मीद जताई कि केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी के रूप में भाजपा भारत के समग्र और संवेदनशील ताने-बाने के व्यावहारिक पहलुओं के मद्देनजर प्रचार के तरीकों का पूरी तरह से पालन करेगी।

नड्डा के साथ ही आयोग ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को भी इसी तरह का नोटिस जारी किया था, जिसमें उनसे उनके और पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी के खिलाफ भाजपा द्वारा दायर शिकायतों पर जवाब देने के लिए कहा गया था।

आयोग ने खरगे के बचाव को भी खारिज कर दिया और पार्टी से सुरक्षा बलों का राजनीतिकरण नहीं करने और सशस्त्र बलों की सामाजिक आर्थिक संरचना के बारे में विभाजनकारी बयान नहीं देने को कहा।

आयोग अग्निपथ योजना पर कांग्रेस के शीर्ष नेताओं द्वारा की गई टिप्पणियों का जिक्र कर रहा था।

आयोग ने कांग्रेस से यह सुनिश्चित करने को भी कहा कि उसके स्टार प्रचारक और उम्मीदवार ऐसे बयान न दें जिससे यह गलत धारणा बने कि संविधान को समाप्त किया जा सकता है।

निर्वाचन आयोग ने दोनों राष्ट्रीय दलों के अध्यक्षों से कहा कि वे अपने स्टार प्रचारकों को औपचारिक सलाह जारी करें ताकि वे अपने संवाद को सही कर सकें, सावधानी बरतें और शिष्टाचार बनाए रख सकें।

आयोग ने नड्डा और खरगे, दोनों से कहा कि चुनाव एक ऐसी प्रक्रिया है जहां राजनीतिक दल न सिर्फ जीतने के लिए चुनाव लड़ते हैं, बल्कि मतदाताओं के खुद को एक आदर्श के रूप में प्रस्तुत करने का अवसर भी प्राप्त करते हैं।

आयोग ने कहा, ‘‘दूसरी बात यह है कि भारतीय चुनावों की बहुमूल्य विरासत और हमारे चुनावी लोकतंत्र को किसी के द्वारा कमजोर करने की इजाजत नहीं दी जा सकती।’’

उसने कहा कि राजनीतिक दलों पर देश के वर्तमान और भविष्य के लिए नेताओं को तैयार करने का दायित्व भी है।

आयोग ने कहा कि राजनीतिक दल, विशेष रूप से उसके वरिष्ठ सदस्य अपने कार्यकर्ताओं के बीच अनुशासन और आचरण को लागू करने में किसी भी तरह से ढिलाई बरतने का जोखिम नहीं उठा सकते।

चुनाव आयोग ने स्टार प्रचारकों पर लगाम लगाने के पहले कदम के तौर पर पार्टी अध्यक्षों को जवाबदेह ठहराने के लिए जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 77 का इस्तेमाल किया था।

आयोग के अनुसार, उसने यह विचार किया है कि स्टार प्रचारक उनके भाषणों के लिए जिम्मेदार बने रहेंगे जबकि आयोग ‘मामला दर मामला’ पर पार्टी प्रमुखों से भी सवाल करेगा।

भाषा ब्रजेन्द्र ब्रजेन्द्र माधव

माधव