भारत के खिलाफ काम करने वाले आतंकवादी समूहों को स्थान नहीं देने के बांग्लादेश के प्रयासों से वाकिफ हैं: नरवणे |

भारत के खिलाफ काम करने वाले आतंकवादी समूहों को स्थान नहीं देने के बांग्लादेश के प्रयासों से वाकिफ हैं: नरवणे

भारत के खिलाफ काम करने वाले आतंकवादी समूहों को स्थान नहीं देने के बांग्लादेश के प्रयासों से वाकिफ हैं: नरवणे

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:51 PM IST, Published Date : November 24, 2021/4:52 am IST

Narwane on Bangladesh’s efforts: नयी दिल्ली, 24 नवंबर (भाषा) सेना प्रमुख जनरल एम. एम. नरवणे ने कहा कि भारत के खिलाफ विध्वंसक गतिविधियों को अंजाम देने वाले आतंकवादी समूहों को जगह देने से इनकार करने की बांग्लादेश की कोशिशों से भारत वाकिफ है।

भारत-बांग्लादेश के बीच संबंधों के 50 वर्ष पूरे होने के अवसर बुधवार को यहां आयोजित एक कार्यक्रम में सेना प्रमुख जनरल नरवणे ने अपने पहले से रिकॉर्ड किए गए भाषण में कहा कि भारत और बांग्लादेश के बीच के ‘‘ऐतिहासिक भूमि सीमा समझौते (एलबीए)’’ ने यह दिखाया कि सीमा से जुड़े मुद्दे को किस तरह ‘‘सकारात्मक नजरिए और परस्पर संवाद’’ के जरिए सुलझाया जा सकता है।

नरवणे ने किसी देश का नाम लिए बगैर कहा ‘‘वह भी ऐसे समय जब ‘कुछ देश’ अंतरराष्ट्रीय नियमों और कानूनों का उल्लंघन करके, अन्य देशों की क्षेत्रीय अखंडता की पूर्ण अवहेलना करके यथास्थिति को बलपूर्वक बदलने का प्रयास कर रहे हैं।’’

सेना प्रमुख ने कहा कि एलबीए का सार है नियम आधारित व्यवस्था के प्रति परस्पर सम्मान, परस्पर विश्वास और परस्पर प्रतिबद्धता। उन्होंने जोर देकर कहा कि करीब चार हजार किलोमीटर लंबी जमीनी सीमा के साथ दोनों देश भारतीय उपमहाद्वीप में एक महत्वपूर्ण रणनीतिक स्थान साझा करते हैं।

भारत और बांग्लादेश ने अपने द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाईयों पर ले जाते हुए 2015 में एक पुराने जमीनी सीमा विवाद को सुलझाने के लिए एक ऐतिहासिक समझौते को अमलीजामा पहनाया था और द्विपक्षीय संबंधों में तनाव के एक प्रमुख कारक को दूर कर दिया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2015 में ढाका के अपने पहले दौरे पर गए थे जब दोनों पक्षों ने एलबीए से संबंधित दस्तावेजों का आदान-प्रदान किया था जिससे 1974 में हुए समझौते के क्रियान्वयन की राह खुली थी। सीमा विवाद को सुलझाने के लिए समझौता तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान ने किया था।

बुधवार को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में हुए इस कार्यक्रम की मेजबानी दिल्ली के सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज ने की। इसमें नरवणे का पहले से रिकॉर्ड किया गया संबोधन चलाया गया जिसमें उन्होंने कहा कि बांग्लादेश का आतंकवाद निरोधी रूख ‘‘आतंकवाद के सभी रूपों का मुकाबला करने के भारत के संकल्प’’ के अनुरूप है।

नरवणे ने कहा, ‘‘भारत के खिलाफ विध्वंसक गतिविधियों को अंजाम देने वाले आतंकवादी समूहों को स्थान नहीं देने के बांग्लादेश के प्रयासों से हम वाकिफ हैं।’’ उन्होंने कहा कि बदले में भारत, बांग्लादेश के हितों को कमतर करने के लिए भारतीय जमीन का इस्तेमाल करने से ‘‘किसी भी आतंकवाद संगठन’’ को रोकने का काम करता रहेगा।

इस कार्यक्रम में बांग्लादेश के उच्चायुक्त मोहम्मद इमरान, बांग्लादेश के पूर्व सेना प्रमुख हारून-अर-राशिद, 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में योगदान देने वाले भारतीय सैन्य बलों के कुछ सेवानिवृत्त अधिकारी और वरिष्ठ रक्षा अधिकारी शामिल हुए।

सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘भारत और बांग्लादेश ने बीते पांच दशक में लंबा रास्ता तय किया है और हमारे बीच की मित्रता समय की कसौटी पर खरी उतरी है।’’ उन्होंने कहा कि पड़ोसी होने के नाते भारत और बांग्लादेश साझा संस्कृति, इतिहास, अवसरों और प्रारब्ध के साथ, एक साथ बढ़ते रहेंगे।

नरवणे बाद में समारोह में पहुंचे और उन्होंने ‘‘बांग्लादेश लिबरेशन @ 50 वर्ष: ‘बिजय’ विद सिनर्जी, इंडिया-पाकिस्तान वॉर 1971’’ नाम की नई किताब का विमोचन किया।

भाषा मानसी अर्पणा

अर्पणा

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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