माओवादियों को सता रहा दूसरी पीढ़ी के नेतृत्व का संकट, शहरी और बुद्धिजीवी युवा की तलाश में

माओवादियों को सता रहा दूसरी पीढ़ी के नेतृत्व का संकट, शहरी और बुद्धिजीवी युवा की तलाश में

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  • Publish Date - September 10, 2018 / 07:34 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:08 PM IST

कोलकाता। देश में शहरी नक्सल शब्द पर छिड़ी बहस के बीच खबर आई है कि प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) के संगठन में नेतृत्व का संकट पैदा हो गया है। प्रतिबंधित संगठन के पोलित ब्यूरो के एक सदस्य के मुताबिक इस संकट को खत्म करने के लिए संगठन शहरी और बुद्धिजीवी युवाओं की तलाश में जुटा है। ये तलाश इसलिए की जा रही है कि ये शहरी और बुद्धिजीवी युवा संगठन के आदिवासी और दलितों समेत जमीनी काडर को शिक्षित कर सके।

पार्टी के ‘लाल चिंगारी’ नामक मुखपत्र में पोलित ब्यूरो के सदस्य प्रशांत बोस उर्फ किशनदा ने कहा है कि पार्टी काडर में शिक्षित युवकों की कमी है। इसी कारण पार्टी दूसरे स्तर का नेतृत्व तैयार नहीं कर पा रही है। उन्होंने माना है कि अगली पीढ़ी का नेतृत्व करने के संबंध में कामयाबी हासिल करने में विफल रहे हैं।

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बोस ने अपनी पार्टी के मुखपत्र को दिए गए एक साक्षात्कार में कहा कि ‘अब दूसरे स्तर का नेतृत्व तैयार करना ही बड़ी चुनौतियों में से एक है। सीपीआई (माओवादी) ने बुजुर्ग और शारीरिक तौर पर अयोग्य नेताओं को भूमिगत गतिविधियों से मुक्त करने के लिए रिटारयर करने की योजना शुरू की थी। इसके करीब सालभर बाद बोस की यह स्वीकारोक्ति सामने आई है।

उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल के अलावा हमने असम, बिहार और झारखंड में दलितों, आदिवासियों और गरीबों के बीच अपना बेस बनाया। जहां शिक्षा का स्तर न के बराबर हो, वहां लोगों को मार्क्सवाद के सिद्धांतों का सही मतलब समझना मुश्किल काम है। संगठन को आदिवासी, दलित और गरीबों को शिक्षित और प्रशिक्षित करने के लिए कई क्रांतिक्रारी, शिक्षित और बुद्धिजीवी कॉमरेड की जरूरत है।

वहीं पश्चिम बंगाल पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि प्रतिबंधित संगठन में नेतृत्व का संकट सच हो सकता है, क्योंकि उनके कई बड़े नेता मारे जा चुके हैं या गिरफ्त्तार किए जा चुके हैं।

वेब डेस्क, IBC24