बिल्कीस बानो मामला: प्रधान न्यायाधीश को टीआरएस की विधान पार्षद ने लिखा पत्र

बिल्कीस बानो मामला: प्रधान न्यायाधीश को टीआरएस की विधान पार्षद ने लिखा पत्र

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  • Publish Date - August 19, 2022 / 08:57 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:20 PM IST

हैदराबाद, 19 अगस्त (भाषा) सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) की नेता और विधान पार्षद (एमएलसी) के. कविता ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण को पत्र लिखकर गुजरात में वर्ष 2002 के दंगों के दौरान बिल्कीस बानो सामूहिक दुष्कर्म और उनके परिवार के सात लोगों की हत्या से संबंधित मामले में 11 दोषियों को रिहा करने के गुजरात सरकार के फैसले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया।

प्रधान न्यायाधीश को लिखे गए एक पत्र में कविता ने आरोप लगाया कि गुजरात सरकार ने ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ समारोह के हिस्से के रूप में गृह मंत्रालय द्वारा 21 अप्रैल, 2022 को जारी दिशा-निर्देशों की अनदेखी की, जिसमें कहा गया है कि दुष्कर्म, मानव तस्करी, यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम, 2012 के तहत दोषी ठहराए गए कैदियों की सजा में छूट से इनकार किया जाना चाहिए।

टीआरएस नेता ने न्यायमूर्ति रमण से आग्रह किया, ‘‘मैं भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय से अनुरोध करती हूं कि कानून और मानवता के प्रति देश के विश्वास को बचाने के लिए वह इस मामले में हस्तक्षेप करे, ताकि उपरोक्त दोषियों की रिहाई का फैसला तुरंत वापस ले लिया जाए।’’

कविता ने कहा कि जब यह जघन्य अपराध हुआ था, तब बानो 21 वर्ष की थीं और वह पांच महीने की गर्भवती थीं। सत्तारूढ़ दल की एमएलसी ने बताया कि मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा की गई थी और विशेष सीबीआई अदालत ने इन दोषियों को सजा सुनाई थी।

उन्होंने राय व्यक्त करते हुए कहा कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 435 (1) (ए) में कहा गया है कि सीबीआई द्वारा जांच किए गए किसी भी मामले में सजा को माफ करने या कम करने की राज्य सरकार की शक्ति का प्रयोग राज्य सरकार द्वारा नहीं किया जाएगा, सिवाय इसके कि ऐसा केंद्र सरकार के परामर्श से किया गया हो।

पूर्व लोकसभा सदस्य ने कहा कि इस मामले में 11 दोषियों की रिहाई केंद्र के परामर्श से की गई थी या नहीं, यह स्पष्ट नहीं है।

भाषा संतोष माधव

माधव