बिस्मिल्लाह खान ने संगीत को काव्य की ऊंचाई प्रदान की : अमजद अली खान

बिस्मिल्लाह खान ने संगीत को काव्य की ऊंचाई प्रदान की : अमजद अली खान

बिस्मिल्लाह खान ने संगीत को काव्य की ऊंचाई प्रदान की : अमजद अली खान
Modified Date: August 23, 2025 / 09:32 pm IST
Published Date: August 23, 2025 9:32 pm IST

(वंशिका गुप्ता)

नयी दिल्ली, 23 अगस्त (भाषा) मशहूर सरोद वादक उस्ताद अमजद अली खान का मानना ​​है कि कुछ शास्त्रीय संगीतकार ऐसे होते हैं, जो संगीत के व्याकरण की गहराई में जाते हैं, जबकि कुछ इसके साहित्य से जुड़ते हैं। लेकिन, शहनाई वादक बिस्मिल्लाह खान उन चंद लोगों में शुमार हैं, जिन्होंने अपने संगीत को काव्य की ऊंचाई प्रदान की।

अमजद अली खान को 20 अगस्त को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में आयोजित ‘याद-ए-बिस्मिल्लाह’ कार्यक्रम में बिस्मिल्लाह खान सम्मान प्रदान किया गया था। महान शहनाई वादक की याद में उनकी शिष्या सोमा घोष द्वारा यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था।

 ⁠

अमजद अली खान ने प्रसिद्ध शहनाई वादक को एक ‘दयालु, विनम्र और रोचक संगीतकार’ के रूप में याद किया।

अमजद अली खान ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘यह बहुत सम्मान की बात है, जब हमें उस्ताद बिस्मिल्लाह खान साहब जैसे पुरस्कार या महान उस्तादों, महान संगीतकारों के नाम पर कोई भी पुरस्कार मिलता है। यह बहुत संतोषजनक है। यह सबसे बड़ा सम्मान है। इसलिए, मैं यह पुरस्कार पाकर बहुत खुश और सम्मानित महसूस कर रहा हूं।’’

उन्होंने कहा कि बिस्मिल्लाह खान का संगीत व्याकरण और साहित्य से आगे बढ़कर कविता के क्षेत्र तक पहुंच गया।

सरोद वादक ने कहा, ‘‘ वह एक बहुत ही रोचक संगीतकार थे। उनका संगीत रोचक था, क्योंकि कई शास्त्रीय संगीतकार व्याकरण की गहराई में जाते हैं। कुछ कलाकार संगीत के साहित्य से जुड़ जाते हैं, लेकिन बहुत कम संगीतकार उनकी तरह काव्य (उत्कृष्टता) के स्तर तक पहुंच पाते हैं। ’’

अमजद अली खान ने शहनाई के दिग्गज के साथ प्रस्तुति देने के अनुभव को भी याद किया और 50 साल पहले बिस्मिल्लाह खान के साथ पहली बार जुगलबंदी करने के असफल अवसर को भी याद किया।

उन्होंने कहा, ‘‘एक बार हम दुर्गा पूजा पर पटना गए थे, लगभग 50 साल पहले की बात है। और जब हम पहली बार मिले, तो वाद्ययंत्रों की ट्यूनिंग में कुछ तकनीकी समस्याएं थीं, लेकिन किसी तरह हमने ट्यूनिंग की और प्रस्तुति देने का फैसला किया। लेकिन उस रात इतना बड़ा तूफ़ान और बारिश आई कि कार्यक्रम रद्द हो गया।’’

उस घटना के 30 साल बाद दोनों ने दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में एक संगीत कार्यक्रम में एक साथ प्रस्तुति दी, जिसमें 10,000 लोग शामिल हुए थे।

खान ने 1970 के दशक का एक किस्सा साझा करते हुए कहा कि एक बार बिस्मिल्लाह खान को सरोद वादन के दौरान एक आध्यात्मिक क्षण का अनुभव हुआ।

अमजद अली खान (79) ने कहा, ‘‘पंडित रविशंकर बनारस में एक समारोह आयोजित करते थे। मैं सुबह तीन-चार बजे सरोद बजा रहा था। वहां एक बड़ा श्रोता वर्ग मौजूद था और उस्ताद बिस्मिल्लाह खान साहब भी वहां बैठे हुए थे। उन्होंने मुझे यह कहानी एक महीने बाद सुनाई। उन्होंने कहा, ‘जब आप सरोद बजा रहे थे, तब मेरी प्रार्थना का समय हो गया था। अब मैं दुविधा में था कि बैठूं या प्रार्थना करने जाऊं?’ उन्होंने कहा, ‘आपने इतना अच्छा बजाया, धुन का प्रभाव इतना ज़बरदस्त था कि मैं बैठा रहा और सोचता रहा कि ईश्वर ही धुन और संगीत है।’ ’’

भाषा रवि कांत रवि कांत दिलीप

दिलीप


लेखक के बारे में