हिंद महासागर की गहराइयों में मिले ‘विचित्र’ जीव : वैज्ञानिक

हिंद महासागर की गहराइयों में मिले ‘विचित्र’ जीव : वैज्ञानिक

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  • Publish Date - November 23, 2022 / 06:45 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:55 PM IST

नयी दिल्ली, 23 नवंबर (भाषा) वैज्ञानिकों का कहना है कि पैनकेक समुद्री साही (सी अर्चिन), बिना आंखों वाली सर्पमीन (ईल) और चमगादड़ जैसी आकृति वाली मछलियां (बैटफिश) हिंद महासागर की गहराइयों में पाए जाने वाले कुछ ऐसे जीव हैं जिन्होंने समुद्र के अंदर के जीवन पर नजर रखने वाले शोधकर्ताओं को “हैरान” कर दिया है।

म्यूजियम्स विक्टोरिया रिसर्च इंस्टीट्यूट (एमवीआरआई) द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि संस्थान के एक दल के नेतृत्व में अभियान के तहत पहली बार ऑस्ट्रेलिया के ‘कोकोस (कीलिंग) आइलैंड मरीन पार्क’ में समुद्र तल का विस्तार से मानचित्रण किया गया।

उन्होंने खुलासा किया कि वहां ऐसे प्राचीन पर्वत मिले हैं जिनका शिखर समतल है, जिनके अगल-बगल में ज्वालामुखी जैसी शंक्वाकार आकृतियां, सर्पिल पठार और रेत स्खलन से बनी घाटियां हैं।

ऑस्ट्रेलिया की राष्ट्रीय विज्ञान एजेंसी सीएसआईआरओ द्वारा संचालित शोध पोत (आरवी) ‘इंवेस्टिगेटर’ ने हिंद महासागर क्षेत्र में गहरे समुद्र में अब तक अज्ञात समुद्री जीवन का भी सर्वेक्षण किया।

अभियान के दौरान पानी के नीचे के वीडियो ने समुद्री पर्वतों के शिखर पर मंडराती विविध मछलियों के जीवन का खुलासा किया है, जिसके नमूने सतह से पांच किलोमीटर नीचे गहराई से एकत्र किए गए हैं।

शोधकर्ताओं ने कहा कि सबसे आकर्षक खोजों में से कुछ हैं: ढीली, पारदर्शी, चिपचिपी त्वचा के खोल में ढकी एक पूर्व अज्ञात नेत्रहीन सर्पमीन है। शोधकर्ताओं ने कहा कि उनकी आंखें पूरी तरह से विकसित नहीं होती हैं और मछली के लिहाज से असामान्य रूप से मादाएं दूसरी मछली को जन्म देती हैं।

दल ने कहा कि गहरे समुद्र में पाया जाने वाला एक और दिलचस्प जीव चमगादड़ जैसी मछली (बैटफिश) है।

यह अपने हाथ जैसे पंखों के सहारे समुद्र तल पर घूमती है।

अभियान के मुख्य वैज्ञानिक एमवीआरआई के टिम ओहारा ने कहा, ‘‘हमने इस सुदूरवर्ती समुद्री पार्क में रहने वाली संभावित नई प्रजातियों की एक चौंकानेवाली संख्या का पता लगाया है।’’

बयान के अनुसार, टीम ने खुद कोकोस (कीलिंग) द्वीप समूह के नीचे विशाल पर्वत की विस्तृत त्रि-आयामी छवियां तैयार की हैं, जिनका पहले कभी विस्तार से मानचित्रण नहीं किया गया था।

भाषा प्रशांत माधव

माधव