(कुमार राकेश)
नयी दिल्ली, सात दिसंबर (भाषा) गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा के चुनावों की जब बृहस्पतिवार को मतगणना होगी तो सत्तारूढ़ भाजपा की नजरें कुछ नये रिकॉर्ड बनाने पर होंगी।
गुजरात में जीत उसे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के अलावा एकमात्र पार्टी बना देगी जिसने लगातार सात विधानसभा चुनाव जीते हैं। वर्ष 1977 से 2011 तक 34 वर्षों तक पश्चिम बंगाल पर शासन करने वाली माकपा ने भी लगातार सात चुनाव जीते थे।
दूसरी तरफ हिमाचल प्रदेश में 1985 के बाद से किसी दल ने लगातार दो विधानसभा चुनाव नहीं जीते हैं। अगर भारतीय जनता पार्टी इस पहाड़ी राज्य में सत्ता में बनी रहती है, तो यह एक अन्य रिकॉर्ड होगा।
हालांकि, भाजपा की सबसे बड़ी इच्छा एक्जिट पोल के पूर्वानुमानों को सच होते देखना है- इसके तहत हिमाचल प्रदेश में सत्ता बरकरार रखते हुए गुजरात में अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन दर्ज करना है।
गुजरात में भाजपा का पिछला सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2002 में था, जब उसने 182 सदस्यीय विधानसभा में 127 सीट पर जीत दर्ज की थी। इस बार एग्जिट पोल के पूर्वानुमानों में पार्टी को 117 से 151 के बीच सीट मिलने की बात कही गई है।
यदि परिणाम इन भविष्यवाणियों के औसत के अनुरूप आते हैं, तो भाजपा 2002 के अपने ही रिकॉर्ड को ध्वस्त कर देगी।
हालांकि , ‘सोने पर सुहागा’ तब होगा जब पार्टी के सीट की संख्या एग्जिट पोल की भविष्यवाणी की ऊपरी सीमा को छू ले – यानी अगर वह 149 सीट के अब तक के रिकॉर्ड को पार कर ले, जो कांग्रेस ने 1985 में माधवसिंह सोलंकी के नेतृत्व में जीती थी।
नई दिल्ली स्थित ‘सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज’ (सीएसडीएस) में लोकनीति के सह-निदेशक संजय कुमार कहते हैं कि भाजपा अगर गुजरात में बड़ी जीत हासिल करती है और हिमाचल प्रदेश में बहुमत पा जाती है, तो इस तरह के नतीजे से पार्टी का मनोबल बढ़ेगा, उसके नेताओं व कार्यकर्ताओं में उत्साह आएगा और इस धारणा को मजबूती मिलेगी कि वह वर्ष 2024 का लोकसभा चुनाव जीतने की राह पर है।
दिल्ली के जीसस एंड मैरी कॉलेज में राजनीति विज्ञान विभाग की प्रोफेसर सुशीला रामास्वामी ने कहा, पार्टी अपनी 2024 की योजना के बारे में अधिक आश्वस्त महसूस करेगी। बहरहाल, एग्जिट पोल के गलत होने की संभावना बनी रहती है।
बढ़ती महंगाई, बड़ी संख्या में नौकरी जाने, भ्रष्टाचार, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में नाराजगी को देखते हुए, अंतिम परिणाम एग्जिट पोल की भविष्यवाणी और भाजपा की उम्मीदों, दोनों से बहुत कम हो सकती है।
सबसे खराब परिणाम यह हो सकता है कि पार्टी हिमाचल प्रदेश हार जाती है और उसकी गुजरात में जीत उतनी ही मामूली रहती है जितनी पिछले चुनाव में थी, जब उसने 99 सीट जीती थीं।
फिर भी, कुमार और रामास्वामी का मानना है कि व्यवहार्य राष्ट्रीय विकल्प के अभाव में परिणामों का राष्ट्रीय राजनीति में भाजपा के लिए कोई गंभीर परिणाम नहीं होगा।
कुमार ने कहा, “अगर भाजपा दो विधानसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन नहीं करती है, तो यह निश्चित रूप से विपक्ष को जश्न का पल देगा, लेकिन मेरी अपनी समझ है कि इसके बहुत अधिक राष्ट्रीय निहितार्थ नहीं होंगे।”
वहीं रामास्वामी ने भाजपा को किसी भी तरह से आत्ममुग्ध होने के प्रति आगाह करते हुए कहा कि आम चुनाव अभी बहुत दूर है और राजनीति में जमीनी हकीकत बदलती रहती है।
भाषा प्रशांत संतोष
संतोष
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