नयी दिल्ली, 19 जनवरी (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि शिक्षा एक महत्वपूर्ण अधिकार है, जो ”जीवन के अधिकार के तहत शामिल है” और किसी बच्चे को शैक्षणिक सत्र के बीच में स्कूल में पढ़ने या परीक्षा देने से इस आधार पर रोका नहीं जा सकता कि उसकी फीस का भुगतान नहीं हुआ है।
अदालत की यह टिप्पणी यहां एक निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूल के 10वीं कक्षा के उस छात्र की याचिका पर आई, जिसका नाम फीस का भुगतान न करने के कारण सूची से हटा दिया गया था और उसने आगामी सीबीएसई बोर्ड परीक्षाओं में बैठने की अनुमति देने का अनुरोध किया था।
न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा ने याचिका पर ‘करुणापूर्ण और सहानुभूतिपूर्ण विचार’ करते हुए कहा कि किसी छात्र को परीक्षा, विशेष रूप से बोर्ड परीक्षा देने से वंचित करना जीवन के अधिकार के समान उसके अधिकारों का उल्लंघन होगा।
अदालत ने निर्देश दिया कि छात्र को बोर्ड की परीक्षा देने की अनुमति दी जाए।
भाषा सुरेश पवनेश
पवनेश
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