नयी दिल्ली, 21 जुलाई (भाषा) केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने गैर-पात्र लोगों को शस्त्र लाइसेंस जारी करने में कथित रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के के साथ-साथ रिश्वतखोरी के अन्य आरोपों में गुजरात कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी के. राजेश के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया है। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
एजेंसी ने आरोप पत्र में एक निजी कंपनी के मालिक रफीक मेमन को भी नामजद किया है, जो गुजरात के सुरेंद्रनगर जिले के पूर्व कलेक्टर राजेश का कथित सहयोगी था।
केंद्रीय एजेंसी ने एक बयान में कहा कि आरोप पत्र अहमदाबाद में विशेष सीबीआई न्यायाधीश वी. वी. परमार की अदालत में दाखिल किया गया।
बयान में कहा गया है, ‘जांच के दौरान पाया गया कि उक्त लोक सेवक के निर्देश पर 98,000 रुपये की कथित रिश्वत की राशि प्रोपराइटर (मेमन) के खाते में जमा की गई थी। उक्त राशि उस रिश्वत की राशि का हिस्सा थी, जिसकी मांग लोक सेवक (राजेश) ने की थी।”
अधिकारियों ने कहा कि मेमन और 2011 बैच के आईएएस अधिकारी राजेश ने ड्रेस सामग्री बेचने का दावा करने वाले एक व्यक्ति के नाम पर चार फर्जी चालान तैयार किए थे।
मेमन द्वारा सीबीआई के समक्ष प्रस्तुत किए गए चालान राजेश को बचाने के लिए कथित तौर पर उसके (मेमन के) कंप्यूटर पर तैयार किए गए थे।
एजेंसी ने बयान में कहा, ”जांच में यह भी पता चला है कि दोनों आरोपियों ने एक षड़यंत्र रचा, जिसके तहत एक व्यक्ति ने लोक सेवक द्वारा मांगी गई कथित रिश्वत का एक हिस्सा लोक सेवक के निर्देश पर उक्त कंपनी के मालिक के खाते में डाल दिया।”
रिश्वत के पैसे लेने के लिए कथित तौर पर आरोपी अधिकारी के लिए एक बिचौलिए के रूप में काम करने वाला मेनन और राजेश फिलहाल जेल में हैं।
सूरत के रहने वाले मेमन को मई में पकड़ा गया था, जबकि राजेश को पिछले हफ्ते गिरफ्तार किया गया था। न्यायाधीश परमार ने 2011 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी राजेश को 18 जुलाई को चार दिन की सीबीआई रिमांड समाप्त होने के बाद 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।
बयान में कहा गया है कि सीबीआई ने प्रारंभिक जांच के बाद दोनों के खिलाफ ‘तत्काल मामला’ दर्ज किया था। यह कार्रवाई ‘गुजरात सरकार के अनुरोध पर’ की गई थी।
गिरफ्तारी के समय गांधीनगर में सामान्य प्रशासन विभाग में संयुक्त सचिव के पद पर तैनात आईएएस अधिकारी पर सुरेंद्रनगर जिले के कलेक्टर के रूप में अपनी तैनाती के दौरान भूमि सौदों के लिए रिश्वत लेने व गैर पात्र लोगों को शस्त्र लाइसेंस देने का आरोप लगाया गया है।
आरोप पत्र के अनुसार, राजेश ने ‘शस्त्र लाइसेंस देने, गैर पात्र लाभार्थियों को सरकारी भूमि के आवंटन और अतिक्रमण की गई सरकारी भूमि के नियमितीकरण के लिए’ रिश्वत ली।’’
एजेंसी ने मामला दर्ज करने के बाद गुजरात के गांधीनगर और सूरत में आरोपी राजेश के ठिकानों और आंध्र प्रदेश में उनके पैतृक स्थान पर छापेमारी की थी और इस दौरान अपराध में इस्तेमाल किए गए दस्तावेज और डिजिटल सबूत बरामद हुए थे।
भाषा जोहेब रंजन
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