सीडीएस रावत ने बिम्सटेक देशों के बीच सूचना साझा करने की व्यवस्था की पैरवी की |

सीडीएस रावत ने बिम्सटेक देशों के बीच सूचना साझा करने की व्यवस्था की पैरवी की

सीडीएस रावत ने बिम्सटेक देशों के बीच सूचना साझा करने की व्यवस्था की पैरवी की

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:32 PM IST, Published Date : December 7, 2021/9:59 pm IST

नयी दिल्ली, सात दिसंबर (भाषा) प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने मंगलवार को सुरक्षा एजेंसियों के बीच बेहतर रक्षा सहयोग के लिए बिम्सटेक देशों के बीच सूचना साझा करने का तंत्र स्थापित करने का सुझाव दिया।

बिम्सटेक आपदा राहत अभ्यास से पहले आयोजित एक कार्यक्रम में अपने संबोधन में सीडीएस ने महामारी, प्राकृतिक आपदाओं और जैविक युद्ध जैसी भविष्य की संभावित चुनौतियों की तैयारी में संगठन के सदस्य देशों द्वारा एकजुट दृष्टिकोण के लिए भी जोर दिया।

बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल (बिम्सटेक) संगठन में भारत, बांग्लादेश, म्यांमा, श्रीलंका, थाईलैंड, नेपाल और भूटान शामिल हैं। भारत क्षेत्रीय सहयोग के लिए बिम्सटेक को एक जीवंत मंच बनाने को ठोस प्रयास कर रहा है क्योंकि दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस) के तहत पहल कई कारणों से आगे नहीं बढ़ रही है।

कोरोना वायरस के नए ओमीक्रोन स्वरूप का जिक्र करते हुए जनरल रावत ने कहा कि देशों को महामारी पर काबू पाने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘क्या यह भी नए प्रकार का युद्ध बन रहा है और यदि यह भविष्य का युद्ध है और जैविक युद्ध किसी तरह आकार लेना शुरू कर रहा है, तो एक बार फिर मुझे लगता है कि बिम्सटेक देशों को एक साथ कार्य करने और हमारे राष्ट्र इस तरह की बीमारी और वायरस से प्रभावित न हों, यह सुनिश्चित करने के लिए हमारे प्रयासों को मजबूत करने की आवश्यकता है।’’

जनरल रावत ने सदस्य देशों की सुरक्षा और न्यायिक एजेंसियों के बीच रक्षा सहयोग को सुविधाजनक बनाने के लिए समान कानूनी ढांचे को तैयार करने और सूचना साझा करने का तंत्र स्थापित करने के महत्व पर प्रकाश डाला। रावत मानवीय सहायता और आपदा राहत अभ्यास ‘पैनेक्स -21’ से संबंधित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

थल सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने कहा कि नए स्वरूप का उभार और कोविड​​-19 मामलों में बढोतरी से संकेत मिलता है कि लड़ाई खत्म नहीं हुई है। नरवणे ने कहा, ‘‘जलवायु परिवर्तन, अनियोजित शहरीकरण, विकास नहीं होने, गरीबी के साथ-साथ महामारी के खतरे जैसे गंभीर कारकों के परिणामस्वरूप भविष्य में आपदाओं की आवृत्ति, जटिलता और गंभीरता में वृद्धि होगी।’’

भाषा आशीष दिलीप

दिलीप

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)