सेंट्रल विस्टा परियोजना से प्रशासन और उत्पादन में बेहतर सामंजस्य स्थापित होगा : जितेंद्र सिंह |

सेंट्रल विस्टा परियोजना से प्रशासन और उत्पादन में बेहतर सामंजस्य स्थापित होगा : जितेंद्र सिंह

सेंट्रल विस्टा परियोजना से प्रशासन और उत्पादन में बेहतर सामंजस्य स्थापित होगा : जितेंद्र सिंह

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:51 PM IST, Published Date : October 14, 2021/9:23 pm IST

नयी दिल्ली, 14 अक्टूबर (भाषा) केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि सेंट्रल विस्टा परियोजना से न सिर्फ धन की बचत होगी, बल्कि इससे प्रशासन और उत्पादन में भी बेहतर सामंजस्य स्थापित होगा। उन्होंने उल्लेख किया कि विभिन्न मंत्रालय अभी किराए के परिसरों के लिए हजारों करोड़ रुपये का भुगतान कर रहे हैं।

यहां विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) तथा वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर) के लिए प्रौद्योगिकी भवन परिसर में निर्मित नए अत्याधुनिक भवन का उद्घाटन करते हुए सिंह ने कहा कि बेहतर और किफायती परिणामों के लिए न केवल कार्य में, बल्कि कार्यस्थलों पर भी जानकारी के आदान-प्रदान की आवश्यकता है।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक, सेंट्रल विस्टा परियोजना की प्रधानमंत्री की परिकल्‍पना का जिक्र करते हुए सिंह ने कहा कि आजादी के 74 साल बाद भी देश में केन्‍द्रीय सचिवालय नहीं है और विभिन्न मंत्रालयों ने परिसर किराए पर ले रखे हैं तथा इसके लिए हजारों करोड़ रुपये किराया दिया जाता है।

सिंह ने कहा कि सेंट्रल विस्टा परियोजना से न केवल धन की बचत होगी, बल्कि प्रशासन और उत्पादन में बेहतर सामंजस्य पैदा होगा।

बयान में कहा गया कि इस परिप्रेक्ष्य में उन्होंने बुधवार को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शुरू किए गए ‘गतिशक्ति’ कार्यक्रम का उदाहरण दिया जिससे बुनियादी ढांचे से संबंधित 16 केन्‍द्रीय विभाग एक ही मंच पर आ जाएंगे।

यह बात याद दिलाते हुए कि डीएसटी के कब्जे वाले भवनों को मूल रूप से पीएल-480 ‘सार्वजनिक कानून- 480’ के तहत यूएसऐड द्वारा आयातित खाद्यान्न के भंडारण के लिए उपयोग किए जाने वाले गोदामों के रूप में बनाया गया था, सिंह ने कहा कि नयी इमारत का परिसर कमी की अवस्‍था से वर्तमान सरकार के तहत आत्मनिर्भरता तक की यात्रा का प्रतीक है क्योंकि भारत खाद्यान्न उत्पादन में न केवल आत्मनिर्भर बन गया है, बल्कि प्रमुख निर्यातक देशों में से एक के रूप में भी उभरा है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास 60 और 70 के दशकों में प्रख्यात वैज्ञानिक और दिग्‍गज हस्तियां थीं, लेकिन उनके पास अब बन रही विश्वस्तरीय सुविधाओं का अभाव था।‘‘

सिंह ने योजनाकारों और वास्तुकारों से कहा कि वे भारत की प्रकृति और इसके वैज्ञानिक कौशल को प्रदर्शित करने के लिए परिसर में खुली जगह का उपयोग करें। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे अत्याधुनिक सुविधाओं के माध्यम से युवा स्टार्ट-अप की आवश्‍यकताओं का ध्‍यान रखें और उन तक पहुंचें।

उन्होंने कहा कि नयी इमारत में डीएसटी, डीएसआईआर और दिल्ली में स्थित डीएसटी के अंतर्गत आने वाले पांच स्वायत्तशासी संस्थान यानी विज्ञान अभियांत्रिकी अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी), प्रौद्योगिकी सूचना पूर्वानुमान एवं मूल्यांकन परिषद (टीआईएफएसी), प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी), विज्ञान प्रसार, भारतीय राष्ट्रीय अभियांत्रिकी अकादमी (आईएनएई) को भी समायोजित किया जाएगा क्योंकि ये किराए के परिसर से काम कर रहे हैं।

भाषा नेत्रपाल पवनेश

पवनेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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