आरोपी को जमानत से रोकने के लिए जांच पूरी किए बिना आरोप-पत्र दाखिल नहीं किया जा सकता: न्यायालय

आरोपी को जमानत से रोकने के लिए जांच पूरी किए बिना आरोप-पत्र दाखिल नहीं किया जा सकता: न्यायालय

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  • Publish Date - April 26, 2023 / 10:25 PM IST,
    Updated On - April 26, 2023 / 10:25 PM IST

नयी दिल्ली, 26 अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि कोई जांच एजेंसी आरोपी को ‘डिफॉल्ट’ जमानत से वंचित रखने के लिए बिना जांच पूरी किये आरोप-पत्र दाखिल नहीं कर सकती।

दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 167 के अनुसार, यदि जांच एजेंसी हिरासत की तारीख से 60 दिनों के भीतर आरोप-पत्र दाखिल करने में विफल रहती है तो आरोपी डिफ़ॉल्ट जमानत का हकदार होगा। कुछ श्रेणी के अपराधों के लिए, निर्धारित अवधि को 90 दिनों तक बढ़ाया जा सकता है।

न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने कहा, ‘मामले की जांच पूरी किये बिना, एक जांच एजेंसी द्वारा आरोप-पत्र या अभियोजन शिकायत केवल एक गिरफ्तार अभियुक्त को सीआरपीसी की धारा 167(2) के तहत डिफ़ॉल्ट जमानत के अधिकार से वंचित करने के लिए दायर नहीं की जा सकती है।’

पीठ ने आगे कहा कि अगर एक जांच अधिकारी द्वारा इस तरह के आरोप-पत्र पहले जांच पूरी किए बिना दायर की जाती है, तो डिफ़ॉल्ट जमानत के अधिकार को समाप्त नहीं किया जाएगा।

भाषा सुरेश सुभाष

सुभाष