दिल्ली की निजामुद्दीन बस्ती में सीलिंग के चलते अप्रैल-जून 2020 के बीच बच्चे प्रभावित हुए: शोध पत्र |

दिल्ली की निजामुद्दीन बस्ती में सीलिंग के चलते अप्रैल-जून 2020 के बीच बच्चे प्रभावित हुए: शोध पत्र

दिल्ली की निजामुद्दीन बस्ती में सीलिंग के चलते अप्रैल-जून 2020 के बीच बच्चे प्रभावित हुए: शोध पत्र

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:25 PM IST, Published Date : October 23, 2021/11:17 pm IST

नयी दिल्ली, 23 अक्टूबर (भाषा) दिल्ली की निजामुद्दीन बस्ती में एक धार्मिक कार्यक्रम के आयोजन के बाद कोविड-19 महामारी के बीच क्षेत्र को सील किए जाने के कारण अप्रैल और जून 2020 के बीच टीकाकरण, विकास निगरानी तथा पूरक पोषण संबंधी बाल स्वास्थ्य गतिविधियां ठप हो गईं, जिससे यहां रहने वाले बच्चे प्रभावित हुए।

दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर) की पहली पत्रिका ‘चिल्ड्रन फर्स्ट: जर्नल ऑन चिल्ड्रन लाइव्स’ में प्रकाशित शोधपत्र के अनुसार निजामुद्दीन बस्ती तब सुर्खियों में आई थी जब इलाके में स्थित तब्लीगी जमात के मुख्यालय को कोविड का स्रोत कहा गया था।

शोधपत्र में कहा गया है कि सीलिंग ने समुदाय के सभी लोगों के जीवन को प्रभावित किया है।

कोविड-19 महामारी की शुरुआत में निजामुद्दीन मरकज में तब्लीगी जमात का कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसके बाद इस कार्यक्रम के संबंध में महामारी रोग अधिनियम, आपदा प्रबंधन अधिनियम, विदेशी अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के विभिन्न प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

आरोप लगाया गया था कि हजारों लोगों की मौजूदगी से निजामुद्दीन मरकज कोरोना वायरस के प्रसार का केंद्र बन गया था।

इस पत्र का मसौदा निजामुद्दीन अर्बन रिन्यूअल इनिशिएटिव द्वारा आगा खान डेवलपमेंट नेटवर्क के तत्वावधान में तैयार किया गया है जो 2007 से इस क्षेत्र में काम कर रहा है।

शोधपत्र में कहा गया है कि महामारी के दौरान इलाके में पॉलीक्लीनिक सीमित क्षमता में काम कर रहे थे।

शोधपत्र में कहा गया है, “अप्रैल से जून 2020 के बीच निजामुद्दीन बस्ती की सीलिंग होने से स्वास्थ्य एवं टीकाकरण, विकास निगरानी और पूरक पोषण संबंधी बाल स्वास्थ्य गतिविधियों में ठहराव आ गया।”

भाषा जोहेब वैभव

वैभव

 

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