कांग्रेस ने मोदी सरकार पर आरटीआई कानून को ‘व्यवस्थित रूप से खत्म’ और ‘कमजोर’ करने का आरोप लगाया

कांग्रेस ने मोदी सरकार पर आरटीआई कानून को ‘व्यवस्थित रूप से खत्म’ और ‘कमजोर’ करने का आरोप लगाया

कांग्रेस ने मोदी सरकार पर आरटीआई कानून को ‘व्यवस्थित रूप से खत्म’ और ‘कमजोर’ करने का आरोप लगाया
Modified Date: October 12, 2025 / 06:23 pm IST
Published Date: October 12, 2025 6:23 pm IST

नयी दिल्ली, 12 अक्टूबर (भाषा) कांग्रेस ने रविवार को नरेन्द्र मोदी सरकार पर सूचना के अधिकार अधिनियम को ‘‘व्यवस्थित रूप से खत्म’’ और ‘‘कमजोर’’ करने का आरोप लगाया। यह अधिनियम दो दशक पहले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार द्वारा शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लाया गया था।

सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम की 20वीं वर्षगांठ पर, कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा के लिए आरटीआई का मतलब ‘‘धमकाने का अधिकार’’ है। पार्टी ने दावा किया कि सत्तारूढ़ सरकार ने केंद्रीय सूचना आयोग को भी एक ‘‘दंतविहीन’’ संस्था बना दिया है, जिसका शीर्ष पद और सात सूचना आयुक्तों के पद लंबे समय से खाली पड़े हैं।

बारह अक्टूबर, 2005 को लागू किए गए इस अधिनियम की 20वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने कहा, ‘‘भाजपा के लिए आरटीआई का मतलब ‘धमकाने का अधिकार’ है।’’

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रमेश ने कहा कि इस क्रांतिकारी कानून का उद्देश्य और मंशा सरकार के कामकाज में पारदर्शिता लाना और उसे जवाबदेह बनाना था।

हालांकि, उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने 2019 में इस अधिनियम को कमजोर करने और सीआईसी को एक ‘‘दंतविहीन’’ संस्था में बदलने के लिए इसमें संशोधन किए।

कांग्रेस नेता ने यह भी दावा किया कि मोदी सरकार आरटीआई को प्रभावी ढंग से खत्म करने के लिए आरटीआई अधिनियम के प्रावधानों में संशोधन करने के उद्देश्य से डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम लेकर आई।

रमेश ने कहा कि केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) केवल दो सदस्यों द्वारा चलाया जा रहा है और मुख्य सूचना आयुक्त और सात अन्य आयुक्तों का पद पिछले दो वर्षों से खाली पड़ा है।

उन्होंने कहा, ‘‘सीआईसी मुख्यालय एक भूतहा घर जैसा दिखता है।’’

रमेश ने मोदी सरकार द्वारा आरटीआई अधिनियम को ‘‘कमजोर’’ करने के लिए इसके विरुद्ध कार्रवाई करने के पीछे पांच कारण भी गिनाए।

उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि आरटीआई अधिनियम के तहत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘‘संपूर्ण राजनीति विज्ञान’’ में एमए की डिग्री के बारे में जानकारी प्रदान करने का मुख्य सूचना आयुक्त का आदेश पहला कारण था, जबकि दूसरा कारण वह आरटीआई जानकारी थी जो प्रधानमंत्री के उस दावे को गलत साबित करती है जिसमें उन्होंने देश में करोड़ों नकली राशन कार्ड होने की बात कही थी।

रमेश ने कहा कि तीसरा कारण आरटीआई के माध्यम से सामने आई जानकारी है कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा नोटबंदी की घोषणा से ठीक चार घंटे पहले, भारतीय रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड ने निष्कर्ष निकाला था कि इस कदम से काले धन या नकली मुद्रा पर अंकुश लगाने में मदद नहीं मिलेगी।

चौथा कारण बताते हुए, कांग्रेस नेता ने कहा कि आरटीआई अधिनियम के तहत, किसी ने जानबूझकर ऋण न चुकाने वाले देश के 20 शीर्ष लोगों की सूची मांगी थी, और केंद्रीय सूचना आयोग ने कहा कि यह सूची तत्कालीन आरबीआई गवर्नर द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को सौंप दी गई थी।

कांग्रेस नेता ने दावा किया कि पांचवां कारण आरटीआई के माध्यम से यह खुलासा था कि विदेश से कोई काला धन वापस नहीं आया है, जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले वादा किया था।

कांग्रेस नेता ने यह भी चेतावनी दी कि अगर डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम को उसके वर्तमान स्वरूप में लागू किया गया, तो यह आरटीआई के लिए ‘‘ताबूत में अंतिम कील’’ साबित होगा।

रमेश ने कहा कि अधिनियम की धारा 44(3) के अनुसार, किसी भी व्यक्ति की निजी जानकारी आरटीआई अधिनियम के तहत उपलब्ध नहीं होगी।

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘इस प्रावधान का दुरुपयोग ‘व्यक्तिगत जानकारी’ होने के बहाने महत्वपूर्ण जानकारी देने से इनकार करने के लिए किया जा सकता है।’’

भाषा शफीक नरेश

नरेश


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