कांग्रेस ना तो राष्ट्रीय रही, ना ही भारतीय, बल्कि ‘भाई-बहन’ की पार्टी बनकर रह गई है: नड्डा |

कांग्रेस ना तो राष्ट्रीय रही, ना ही भारतीय, बल्कि ‘भाई-बहन’ की पार्टी बनकर रह गई है: नड्डा

कांग्रेस ना तो राष्ट्रीय रही, ना ही भारतीय, बल्कि ‘भाई-बहन’ की पार्टी बनकर रह गई है: नड्डा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:06 PM IST, Published Date : May 19, 2022/6:19 pm IST

नयी दिल्ली, 19 मई (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जे पी नड्डा ने बृहस्पतिवार को कहा कि क्षेत्रीय राजनीतिक दलों में विचारधारा किनारे हो गई और परिवार सामने आ गए हैं जबकि प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस अब ना तो राष्ट्रीय, ना भारतीय और ना ही प्रजातांत्रिक रही बल्कि ‘‘भाई-बहन’’ की पार्टी बनकर रह गई है।

‘‘लोकतांत्रिक शासन के लिए वंशवादी राजनीतिक दलों के खतरे’’ विषय पर यहां आयोजित एक राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित कर रहे नड्डा ने आरोप लगाया कि पारिवारवादी पार्टियों में एक व्यक्ति का हित सर्वोपरि रहता है और ऐसे दल लोकतंत्र के लिए खतरा हैं।

मुंबई स्थित थिंक टैंक ‘‘रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी’’ (आरएमपी) के तत्वाधान में आयोजित एक संगोष्ठी का उद्घाटन करने के बाद अपने संबोधन में नड्डा ने कांग्रेस पर करारा प्रकार करते हुए और देश के तमाम क्षेत्रीय दलों की फेहरिस्त गिनाते हुए कहा कि संविधान जन्म के आधार पर किसी प्रकार के भेदभाव की इजाजत नहीं देता लेकिन ऐसे दलों में नेतृत्व के बारे में फैसला जन्म के आधार पर लिया जाता है और दूसरों को नजरअंदाज किया जाता है।

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), नेशनल कॉन्फ्रेंस, शिरोमणि अकाली दल, इंडियन नेशनल लोक दल, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल (राजद), बीजू जनता दल (बीजद), वाईएसआर कांग्रेस, तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) और शिव सेना सहित विभिन्न राजनीतिक दलों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि ये क्षेत्रीय पार्टियां अब परिवारवादी पार्टियों में तब्दील गई हैं।

उन्होंने पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस को ‘‘दीदी- भतीजे की पार्टी’’ बताया और कहा कि झारखंड में ‘‘बाबू जी (शिबू सोरेन) के बुजुर्ग होने के बाद बेटे’’ (झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन) ने पार्टी संभाल ली है।

नड्डा ने कहा, ‘‘जो परिवारिक पार्टियां हैं, उनका उद्देश्य सिर्फ सत्ता पाना होता है। इनकी कोई विचारधारा नहीं है। इनके कार्यक्रम भी लक्ष्यविहीन होते हैं।’’

इसी क्रम में कांग्रेस पर निशाना साधते हुए नड्डा ने कहा, ‘‘कांग्रेस भी अब ना तो राष्ट्रीय रही, ना भारतीय और न ही प्रजातांत्रिक रही, यह भी भाई-बहन की पार्टी बनकर रह गई है।’’

उनका इशारा स्पष्ट तौर पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा की ओर था।

नड्डा ने कहा कि भाजपा एकमात्र राजनीतिक दल है जो विचारधारा और कैडर आधारित है, जिसमें फैसले लोकतांत्रिक आधार पर लिए जाते हैं।

भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि क्षेत्रीय पार्टियों का लक्ष्य किसी भी तरह से सत्ता में आना होता है और इसके लिए वे ध्रुवीकरण से भी गुरेज नहीं करते, वह चाहे जाति के आधार पर हो या धर्म के आधार पर हो।

उन्होंने दावा किया, ‘‘राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों को ताक पर रख दिया जाता है और सत्ता पाने के लिए ध्रुवीकरण किया जाता है।’’

नड्डा ने क्षेत्रीय दलों के उभार के लिए कांग्रेस को दोषी ठहराया और आरोप लगाया कि प्रमुख विपक्षी पार्टी ने राष्ट्रीय राजनीति में अपने प्रभुत्व के दौरान क्षेत्रीय आकांक्षाओं को तवज्जो नहीं दी।

उन्होंने कहा कि भाजपा ‘‘एकता और विविधता’’ में विश्वास रखती है और राष्ट्रीय एकजुटता को मजबूत बनाए रखते हुए क्षेत्रीय आकांक्षाओं को भी तवज्जो देती है।

नड्डा ने आरोप लगाया कि क्षेत्रीय पार्टियों में धीरे-धीरे कुछ लोगों ने कब्जा कर लिया है और अब उन क्षेत्रीय पार्टियों में विचारधारा किनारे हो गई है तथा परिवार आगे आ गए हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह से क्षेत्रीय पार्टियां, परिवारवादी पार्टियों में बदल गई हैं। जो परिवारिक पार्टियां हैं, उनका उद्देश्य सिर्फ सत्ता पाना होता है। इनकी कोई विचारधारा नहीं है। इनके कार्यक्रम भी लक्ष्यविहीन होते हैं।’’

प्रजातांत्रिक व्यवस्था में राजनीतिक दल की महत्ता का उल्लेख करते हुए भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि राजनीतिक दल अगर स्वस्थ हों तो प्रजातंत्र स्वस्थ रहता है और अगर वह अस्वस्थ हैं तो प्रजातंत्र अस्वस्थ हो जाता है और इससे धीरे-धीरे प्रजातांत्रिक व्यवस्था पर आघात होने लगता है।

संगोष्ठी में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस, केंद्रीय मंत्री व जनता दल यूनाईटेड के आरसीपी सिंह, ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) के एम थंबी दुरई और भाजपा के राज्यसभा सदस्य विनय सहस्रबुद्धे सहित कई नेता उपस्थित थे।

फड़णवीस ने इस अवसर पर कहा कि ये क्षेत्रीय पार्टियां किसी ‘‘प्राइवेट लिमिटेड’’ कंपनियों की तरह हैं। भ्रष्टाचार के मामलों के लिए क्षेत्रीय दलों को दोषी ठहराते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि ऐसे दलों को पैसों की जरूरत होती है ताकि परिवार सत्ता के केंद्र में बना रहे।

कांग्रेस पर हमला करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘‘प्रिंस’’ पार्टी का अध्यक्ष नहीं बनना चाहता है लेकिन वह यह भी नहीं चाहता कि कोई दूसरा कमान संभाले और पार्टी आज बगैर किसी नेतृत्व के काम कर रही है। वर्तमान में सोनिया गांधी कांग्रेस की अध्यक्ष हैं।

सहस्रबुद्धे ने इस अवसर पर कहा कि निर्वाचन आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त 54 दलों में से सिर्फ आठ दल ही ऐसे हैं, जो परिवारवाद से मुक्त हैं।

उन्होंने कहा कि परिवारवादी पार्टियां लोकतंत्र की भावना के विपरीत होती हैं।

भाषा ब्रजेन्द्र

ब्रजेन्द्र मनीषा

मनीषा

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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