नयी दिल्ली, 16 जून (भाषा) कांग्रेस ने संसद परिसर में स्थित मूर्तियों को स्थानांतरित करने के कदम को रविवार को ‘‘मनमाना और एकतरफा’’ करार दिया। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि बिना उपयुक्त चर्चा के लिए गए ऐसे फैसले संसद के नियमों और परंपराओं के खिलाफ हैं।
विपक्षी दल ने दावा किया है कि महात्मा गांधी, डॉ. भीम राव आंबेडकर और छत्रपति शिवाजी सहित अन्य की मूर्तियों को स्थानांतरित करने के पीछे का विचार यह सुनिश्चित करना है कि वे ऐसे किसी प्रमुख स्थान पर न हों, जहां सांसद शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक विरोध प्रदर्शन कर सकें।
उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने रविवार को ‘प्रेरणा स्थल’ का उद्घाटन किया। ‘प्रेरणा स्थल’ में स्वतंत्रता सेनानियों और अन्य नेताओं की वे सभी मूर्तियां रखी गई हैं, जिन्हें पहले संसद परिसर में विभिन्न स्थानों पर रखा गया था।
कांग्रेस ने मूर्तियों को उनके मौजूदा स्थान से हटाने के निर्णय की आलोचना की है, वहीं लोकसभा सचिवालय ने कहा है कि विभिन्न स्थानों पर उनकी स्थापना के कारण आगंतुकों के लिए उन्हें ठीक से देख पाना मुश्किल हो रहा था।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संवाददाताओं से कहा कि इस मुद्दे पर समय-समय पर विभिन्न हितधारकों के साथ चर्चा की गई और ‘‘इस पर राजनीति करने की कोई आवश्यकता नहीं है।’’
संसद भवन परिसर में प्रमुख नेताओं की मूर्तियों के स्थानांतरण पर एक बयान में, कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने कहा कि बिना किसी परामर्श के मनमाने ढंग से मूर्तियों को हटाना लोकतंत्र की मूल भावना को तार-तार करता है।
उन्होंने कहा, ‘‘महात्मा गांधी और डॉ. आंबेडकर सहित कई महान नेताओं की मूर्तियों को संसद भवन परिसर में उनके प्रमुख स्थानों से हटाकर एक अलग कोने में स्थापित कर दिया गया है। बिना किसी परामर्श के मनमाने ढंग से इन मूर्तियों को हटाना हमारे लोकतंत्र की मूल भावना को तार-तार करता है।’’
उन्होंने कहा कि पूरे संसद भवन में ऐसी लगभग 50 मूर्तियां हैं। उन्होंने कहा, ‘‘महात्मा गांधी और बाबासाहेब आंबेडकर की मूर्तियां प्रमुख स्थानों पर तथा अन्य प्रमुख नेताओं की मूर्तियां उपयुक्त स्थानों पर व्यापक विचार-विमर्श के बाद स्थापित की गई थीं। संसद भवन परिसर में प्रत्येक मूर्ति और उसका स्थान काफी मायने रखता है।’’
खरगे ने इस बात पर जोर दिया कि पुराने संसद भवन के ठीक सामने स्थित ध्यान मुद्रा में महात्मा गांधी की प्रतिमा भारत की लोकतांत्रिक राजनीति के लिए अत्यधिक महत्व रखती है।
प्रेरणा स्थल के उद्घाटन से पहले कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि लोकसभा की वेबसाइट के अनुसार, चित्र और प्रतिमाओं पर संसद की समिति की आखिरी बैठक 18 दिसंबर, 2018 को हुई थी और 17वीं लोकसभा (2019-2024) के दौरान इसका पुनर्गठन भी नहीं किया गया।
उन्होंने कहा, ‘‘आज संसद परिसर में मूर्तियों के बड़े पुनर्संयोजन का उद्घाटन किया जा रहा है। स्पष्ट रूप से यह सत्तारूढ़ सरकार द्वारा एकतरफा लिया गया निर्णय है।’’
रमेश ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘इसका एकमात्र उद्देश्य महात्मा गांधी और डॉ. आंबेडकर की प्रतिमाओं को संसद भवन के ठीक बगल में स्थापित न करना है – जो शांतिपूर्ण, वैध और लोकतांत्रिक विरोध के पारंपरिक स्थल हैं।’’
उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी की प्रतिमा को न केवल एक बार बल्कि दो बार हटाया गया है।
रमेश ने कहा कि संसद परिसर में आंबेडकर जयंती समारोह का उतना बड़ा और उतना महत्व नहीं होगा, क्योंकि अब उनकी प्रतिमा वहां विशिष्ट स्थान पर नहीं है।
लोकसभा सचिवालय ने कहा है कि ‘प्रेरणा स्थल’ का निर्माण इसलिए किया गया है ताकि संसद भवन परिसर में आने वाले गणमान्य व्यक्ति और अन्य आगंतुक एक ही स्थान पर इन प्रतिमाओं को आसानी से देख सकें और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर सकें।
उसने कहा, ‘‘इन महान भारतीयों की जीवन गाथाओं और संदेशों को नई प्रौद्योगिकी के माध्यम से आगंतुकों तक पहुंचाने के लिए एक कार्य योजना बनाई गई है।’’
भाषा आशीष सुभाष
सुभाष