संविधान अस्तित्व के संकट का सामना कर रहा है, भारत अब सहयोगी संघवाद नहीं रहा: कांग्रेस |

संविधान अस्तित्व के संकट का सामना कर रहा है, भारत अब सहयोगी संघवाद नहीं रहा: कांग्रेस

संविधान अस्तित्व के संकट का सामना कर रहा है, भारत अब सहयोगी संघवाद नहीं रहा: कांग्रेस

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:51 PM IST, Published Date : November 26, 2022/10:39 pm IST

नयी दिल्ली, 26 नवंबर (भाषा) कांग्रेस ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर संविधान दिवस मनाकर ‘‘पाखंड’’ करने का आरोप लगाया। विपक्षी दल ने यह भी आरोप लगाया कि संविधान अस्तित्व के संकट का सामना कर रहा है और भारत अब सहयोगी संघवाद वाला राष्ट्र नहीं रहा।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि एक संविधान जो सात दशकों से अधिक समय से समय की कसौटी पर खरा उतरा है ‘‘आज एक मूल संकट का सामना कर रहा है, जो वास्तव में इसके लिए एक अस्तित्वगत संकट है।’’

उन्होंने एक बयान में कहा, ‘‘हम एक ऐसे बिंदु पर पहुंच गए हैं, जहां न केवल लोगों के बीच बल्कि सरकारों और राज्यों के बीच भी असहमति बढ़ रही है। हमारा देश अब एक सहयोगी संघवाद वाला राष्ट्र नहीं है।’’

खरगे के बयान के कुछ घंटे पहले प्रधानमंत्री ने इस दिवस के उपलक्ष्य में एक समारोह को संबोधित किया। संविधान सभा द्वारा 1949 में भारत के संविधान को अंगीकार करने के उपलक्ष्य में 2015 से 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। इससे पहले इस दिन को कानून दिवस के रूप में मनाया जाता था।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि जब तक संविधान के हर शब्द का पालन नहीं किया जाता, वह एकता की राह पर चलते रहेंगे। गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘जब तक हमारे संविधान के हर शब्द का पालन नहीं किया जाता और हर नागरिक की निष्पक्षता एवं न्याय के जरिए रक्षा नहीं की जाती, मैं इस मार्ग पर चलता रहूंगा।’’

खरगे ने ‘‘भारतीय संविधान के समक्ष मंडराता संकट’’ शीर्षक वाले अपने बयान में आरोप लगाया कि 2014 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सत्ता में आने के बाद से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने इसे संविधान में निहित स्वतंत्रता को कम करने के लिए एक राजनीतिक औजार के रूप में इस्तेमाल किया है।

खरगे ने कहा, ‘‘अवैध वैध हो गया है क्योंकि हाशिया अब मुख्यधारा बन गया है। हमारे लोकतंत्र की सबसे महत्वपूर्ण वास्तविक भावना को ऐसे लोगों द्वारा विकृत और अनादर किया जा रहा है, जो इसे पूरी तरह से विपरीत एजेंडे को आगे बढ़ाने के साधन के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं।’’

कांग्रेस महासचिव एवं संचार प्रभारी जयराम रमेश ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘संविधान के मसौदे को संविधान सभा ने 26 नवम्बर 1949 को अपनाया था। संविधान सभा ने फैसला किया था कि यह 26 जनवरी 1950 से लागू होगा, जिसे तब से गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।’’

उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा कि भाजपा के ‘वैचारिक प्रमुखों’ का संविधान के निर्माण से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा, ‘‘वास्तव में आरएसएस भारत के संविधान के विरुद्ध था। हालांकि संविधान के प्रति सम्मान दिखाने की चाहत में प्रधानमंत्री ने 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया, भले ही वह इसे (संविधान की भावनाओं को) हर दिन विकृत करते हैं। यह बिल्कुल पाखंड है।’’

रमेश ने कहा कि बाबासाहेब आंबेडकर ने 25 नवंबर, 1949 को संविधान के अंतिम मसौदे को तैयार करते हुए बीसवीं सदी के महानतम भाषणों में से एक दिया था।

खरगे ने कहा, ‘‘सरकार ने खुद का और अपने संस्थानों का पूरी तरह से आरएसएस के फरमानों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है, यह ऐसा संगठन है जो समाज सेवा की आड़ में घृणित प्रचार को आगे बढ़ाता है। वास्तव में, आरएसएस और भाजपा शब्दों का परस्पर एक दूसरे के लिए इस्तेमाल करना अब गलत नहीं है।’’

कांग्रेस प्रमुख ने आरोप लगाया कि ‘‘न्यायाधीशों की रहस्यमय हालात में मौत, फैसला सुनाने से पहले उनका तत्काल तबादला, या जब वे सरकार के खिलाफ खड़े हुए हैं, तो उनका पीछा करना…ऐसा नहीं है भारत के लोगों की नजरों से यह सब छुपा है।’’

खरगे ने कहा कि कानून मंत्री कार्यपालिका और न्यापालिका को ‘‘आपस में लड़ने का कोई फायदा नहीं है’’ का भाषण देते हैं।

खरगे ने कहा कि कांग्रेस ने नफरत और विभाजनकारी ताकतों के खिलाफ देश को एकजुट करने के लिए ‘भारत जोड़ो यात्रा’ शुरू की है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि व्यवस्था के भीतर, सत्तारूढ़ पार्टी ने विरोध व्यक्त करने के लिए विपक्षी दलों के सभी रास्तों को रोक दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘संसद में जब भी भाजपा के कार्यों पर सवाल उठाए जाते हैं तो माइक्रोफोन को नियमित रूप से ‘म्यूट’ कर दिया जाता है और मीडिया में हमारे लिए सुलभ स्थान हर दिन कम होते जा रहे हैं।’’

खरगे ने आरोप लगाया, ‘‘भारत के निर्वाचन आयोग के कामकाज और स्वतंत्रता को खतरे में डाल दिया गया है। धन विधेयक के रूप में लागू चुनावी बांड की अपारदर्शी प्रणाली को सत्तारूढ़ पार्टी को अनुचित लाभ देने के लिए लाया गया।’’

भाषा आशीष पवनेश

पवनेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)