शिवमोगा (कर्नाटक), 14 अप्रैल (भाषा) उडुपी में एक ठेकेदार की मौत के सिलसिले में आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपों से घिरे कर्नाटक के मंत्री के एस ईश्वरप्पा ने कई दिनों के ना-नुकूर के बाद बृहस्पतिवार को अपने पद से हटने की घोषणा की ।
यह घोषणा ऐसे समय में आयी है जब एक दिन पहले ही ठेकेदार संतोष के पाटिल की मौत के सिलसिले में दर्ज की गयी प्राथमिकी में ईश्वरप्पा को नामजद किया गया है।
ईश्वरप्पा ने शिवमोगा में संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘ मैंने कर्नाटक सरकार में ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज मंत्री के रूप में काम किया है। मैंने मंत्री पद से इस्तीफा देने का आज फैसला किया। ’’
उन्होंने कहा कि वह शुक्रवार को मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई को अपना त्यागपत्र सौंपेंगे।
इस बीच विपक्षी दल कांग्रेस ने संकट में घिरे ईश्वरप्पा पर हमला तेज कर दिया एवं उन्हें गिरफ्तार करने की मांग की।
बहरहाल मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने बेंगलुरू में स्पष्ट किया कि ईश्वरप्पा ने अपनी मर्जी से इस्तीफा देने का निर्णय लिया है और ऐसा करने के लिए उनपर पार्टी आलाकमान से दबाव नहीं था।
मंत्री के खिलाफ ठेकेदार संतोष के पाटिल की संदिग्ध आत्महत्या के सिलसिले में बुधवार को मामला दर्ज किया गया था। पाटिल उडुपी के एक होटल में मृत पाये गये थे।
ठेकेदार ने मंत्री एवं उनके करीबियों पर 2021 में बेलगावी के हिंदलगा गांव में एक उत्सव से पूर्व निर्माण कार्य पूरा करने के लिए 40 फीसदी कमीशन मांगने का आरोप लगाया था।
ईश्वरप्पा ने कहा, ‘‘ मैंने इस्तीफा देने का फैसला इसलिए किया क्योंकि मैं उन लोगों को असहज स्थिति में नहीं डालना चाहता, जिन्होंने यहां तक पहुंचने में मेरी मदद की, यथा पार्टी में वरिष्ठ नेता, मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई और हमारे राष्ट्रीय नेता।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ कल मैं बेंगलुरू जाऊंगा और बोम्मई को अपना त्यागपत्र सौंपूंगा। ’’
उन्होंने मुख्यमंत्री एवं अपने सभी मित्रों को सहयोग के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्हें विश्वास है कि वह पाकसाफ होकर सामने आयेंगे।
ईश्वरप्पा ने पहले यह कहते हुए इस्तीफा देने से इनकार कर दिया था कि उनकी गलती नहीं है।
इस बीच विधानसभा में विपक्ष के नेता सिद्धरमैया ने कहा कि उनकी पार्टी कांग्रेस चाहती है कि उनपर भ्रष्टाचर का मामला दर्ज हो। उन्होंने कहा, ‘‘ आत्महत्या के उकसाना एक जघन्य अपराध है और गैर जमानती अपराध है। सभी जघन्य अपराधं मे आरोपी को गिरफ्तार किया जाना चाहिए लेकिन ईश्वरप्पा के मामले में ऐसा नहीं किया गया। ’’
भाषा
राजकुमार उमा
उमा