निजी पक्षों को दिए गए अनुबंधों को बिना कारण बताए निरस्त नहीं किया जाना चाहिए: न्यायालय

निजी पक्षों को दिए गए अनुबंधों को बिना कारण बताए निरस्त नहीं किया जाना चाहिए: न्यायालय

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  • Publish Date - May 8, 2024 / 03:26 PM IST,
    Updated On - May 8, 2024 / 03:26 PM IST

नयी दिल्ली, आठ मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के एक आदेश के विरुद्ध एक अपील पर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा कि निजी पक्षों को दिए गए अनुबंधों को बिना कारण बताए रद्द नहीं किया जा सकता।

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला तथा न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि अनुबंध हासिल करने के बाद निवेश करने वाले निजी क्षेत्र के लोगों को बदले में कुछ प्राप्त होने की उचित आकांक्षा होती है।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘बिना कारण बताए किसी अनुबंध को कैसे समाप्त किया जा सकता है?’’

मामले के तथ्यों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि अनुबंध निरस्त करने के लिए कोई कारण नहीं बताया गया।

कलकत्ता उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने 25 मई, 2023 को एकल पीठ के उस फैसले को कायम रखा जिसने सुबोध कुमार सिंह राठौड़ की अगुवाई वाली एक कंपनी को दिया गया ठेका निरस्त करने को मंजूरी दे दी थी।

भाषा वैभव मनीषा

मनीषा