अतिक्रमण रोधी अभियान के तहत बुलडोजर के साथ आईटीओ कब्रिस्तान के पास पहुंचे निगम अधिकारी

अतिक्रमण रोधी अभियान के तहत बुलडोजर के साथ आईटीओ कब्रिस्तान के पास पहुंचे निगम अधिकारी

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  • Publish Date - June 22, 2022 / 02:50 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:49 PM IST

नयी दिल्ली, 22 जून (भाषा) दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के अधिकारी अतिक्रमण रोधी अभियान के तहत बुधवार को आईटीओ कब्रिस्तान के पास ”अवैध ढांचों” को हटाने के लिए बुलडोजर और पुलिस बल के साथ पहुंचे। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि अभियान के तहत करीब 50 अवैध ढांचों को हटाया जाएगा। यह अभियान बृहस्पतिवार तक जारी रह सकता है।

निगम के अधिकारियों के अनुसार कार्रवाई से पूर्व अतिक्रमणकारियों को ढांचों का स्वामित्व साबित करने वाले दस्तावेज़ प्रस्तुत करने के लिए ”आवश्यक अवसर” दिया गया था।

एमसीडी के एक अधिकारी ने ”पीटीआई-भाषा” को बताया, ”अतिक्रमण रोधी अभियान शुरू हो गया है। अतिक्रमण हटाने के लिए यह दो दिवसीय कार्रवाई है, इसलिए यह बृहस्पतिवार को भी जारी रहेगी। कार्रवाई के दौरान अस्थायी और स्थायी अवैध ढांचों, झोंपड़ियों आदि को ध्वस्त किया जाएगा।”

उन्होंने बताया कि यह अभियान टाइम्स ऑफ इंडिया इमारत और आईटीओ कब्रिस्तान के पीछे की गलियों में चलाया जा रहा है।

नगर निकाय ने कहा कि उसने दिल्ली पुलिस को पत्र लिखकर अभियान के लिए पहले से पर्याप्त पुलिस तैनाती की मांग की है।

एमसीडी के कार्यकारी अभियंता (मध्य क्षेत्र) द्वारा दिल्ली पुलिस को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि नागरिक निकाय ने उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन में टाइम्स ऑफ इंडिया भवन के पीछे सड़क से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की योजना बनाई है।

उन्होंने पत्र में कहा ”अतिक्रमणकारियों को अपना स्वामित्व साबित करने के लिए आवश्यक दस्तावेज़ दिखाने की खातिर मौका दिया गया है, लेकिन उनमें से कोई भी स्वामित्व दस्तावेज़ जमा नहीं कर सका। तदनुसार 22 और 23 जून, 2022 को अतिक्रमण हटाने का कार्यक्रम निर्धारित किया गया है। यह अनुरोध है कि कृपया कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए महिला पुलिसकर्मियों के साथ पर्याप्त पुलिस बल प्रदान करें।”

गौरतलब है कि मई माह में निगम के अधिकारियों ने जहांगीरपुरी, शाहीन बाग, मदनपुर खादर, लोधी कॉलोनी, तिलक नगर में इस तरह के अभियान चलाये थे।

अतिक्रमण रोधी अभियान के दौरान जहांगीरपुरी सहित कुछ इलाकों में उन्हें स्थानीय लोगों के विरोध और प्रतिरोध का सामना करना पड़ा था।

भाषा फाल्गुनी अविनाश

अविनाश