देश के पहले सीडीएस जनरल रावत, उनकी पत्नी और 11 अन्य की हेलीकॉप्टर हादसे में मृत्यु |

देश के पहले सीडीएस जनरल रावत, उनकी पत्नी और 11 अन्य की हेलीकॉप्टर हादसे में मृत्यु

देश के पहले सीडीएस जनरल रावत, उनकी पत्नी और 11 अन्य की हेलीकॉप्टर हादसे में मृत्यु

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:51 PM IST, Published Date : December 8, 2021/11:08 pm IST

कुन्नूर (तमिलनाडु)/नयी दिल्ली, आठ दिसंबर (भाषा) भारत के पहले प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और 11 अन्य सैन्य कर्मियों की तमिलनाडु के कुन्नूर में बुधवार को एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु हो गई। वायुसेना और प्रदेश के अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

अधिकारियों ने कहा कि तीनों सेनाओं के प्रमुख जनरल रावत (63) को इस महीने के अंत में नए पद पर रहते दो साल पूरे हो जाते। थल सेना प्रमुख की जिम्मेदारी संभाल चुके जनरल रावत दुर्घटनाग्रस्त हुए वायुसेना के एमआई-17वी5 हेलीकॉप्टर में सवार थे। वायुसेना की तरफ से बताया गया कि इस दुर्घटना में डीएसएससी के डायरेक्टिंग स्टाफ ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह एससी घायल हैं और फिलहाल सैन्य अस्पताल, वेलिंगटन में उनका उपचार चल रहा है।

अपने मुखर बयानों से कई बार विवाद खड़े कर देने वाले जनरल बिपिन रावत वेलिंगटन (नीलगिरी पहाड़ी) स्थित डिफेंस सर्विसेज स्टॉफ कॉलेज (डीएसएससी) जा रहे थे जहां उन्हें शिक्षकों एवं छात्रों को संबोधित करना था।

वायुसेना ने कहा कि हादसे की जांच के लिये कोर्ट ऑफ इंक्वायरी का आदेश दिया गया है।

एमआई-17वी5 हेलीकॉप्टर एक उन्नत सैन्य परिवहन हेलीकॉप्टर है जोकि वर्ष 2012 से वायुसेना के बेड़े में शामिल है। रशियन हेलीकॉप्टर्स की सहायक कंपनी ‘कजान’ द्वारा निर्मित एमआई-17वी5 हेलीकॉप्टर मौसम रडार के साथ ही नवीनतम पीढ़ी के ‘नाइट विजन’ उपकरणों से लैस है।

वायुसेना ने शाम करीब छह बजे ट्वीट कर बताया, “बहुत ही अफसोस के साथ इसकी पुष्टि हुई है कि दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना में हेलीकॉप्टर सवार जनरल बिपिन रावत, श्रीमती मधुलिका रावत और 11 अन्य की मृत्यु हो गई है।”

इससे पहले नीलगिरी के जिलाधिकारी एस. पी. अमृत ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि इस हादसे में 13 लोगों की मौत हो गई जबकि एक व्यक्ति की जान बच गई है।

आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि निकटवर्ती कोयंबटूर के सुलुर वायुसैनिक अड्डे से रावत व अन्य को लेकर हेलीकॉप्टर ने पूर्वाह्न 11 बजकर 48 मिनट पर उड़ान भरी थी और उसे 45 मिनट बाद उधगमंडलम में वेलिंगटन के डीएसएससी में उतरना था। उन्होंने बताया कि दुर्घटना दोपहर 12 बजकर 22 मिनट पर हुई। इससे पहले सीडीएस दिल्ली से पूर्वाह्न 11 बजकर 34 मिनट पर एंबरर विमान से वायुसेना के अड्डे पहुंचे थे।

आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक हादसे में जान गंवाने वाले अन्य सभी भी सशस्त्र बल से हैं जिनकी पहचान ब्रिगेडियर एल एस लिद्दरर, लेफ्टिनेंट कर्नल हरजिंदर सिंह, विंग कमांडर पी एस चौहान, स्वाड्रन लीडर के सिंह, नायक गुरसेवक सिंह, नायक जितेंद्र कुमार, लांस नायक विवेक, लांस नायक बी एस तेजा, हवलदार सतपाल, जेडब्ल्यूओ दास और जेड्ब्ल्यूओ प्रदीप के तौर पर हुई है।

घटनास्थल की तस्वीरें बेहद भयावह थीं और राहतकर्मियों को बिखरे पड़े जले हुए मानव अवशेषों को एकत्रित करते देखा गया।

नीलगीरी पहाड़ियों से आई भयावह त्रासदी की तस्वीरों ने देश को स्तब्ध कर दिया। घटनास्थल पर आम नागरिकों का प्रवेश बंद कर दिया गया है।

पुलिस और रक्षा सूत्रों ने बताया कि मृतकों के पार्थिव शरीर को बृहस्पतिवार सुबह कोयंबटूर से हवाई मार्ग से नई दिल्ली ले जाया जाएगा। इससे पहले कल वेलिंगटन में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कई मुख्यमंत्रियों समेत विभिन्न दलों के तमाम राजनेताओं ने जनरल रावत के निधन पर शोक व्यक्त किया और एक उत्कृष्ट सैनिक के तौर पर उनकी सराहना की।

प्रधानमंत्री मोदी ने एक ट्वीट कर कहा, ‘‘जनरल रावत एक उत्कृष्ट सैनिक थे। एक सच्चे देशभक्त के रूप में उन्होंने सुरक्षा तंत्र और हमारे सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण में बहुत बड़ा योगदान दिया। रणनीतिक मामलों में उनकी दूरदृष्टि असाधारण थी। उनके निधन ने मुझे गहरा सदमा पहुंचाया है। ओम शांति।’’

प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली रक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीएस) को दुर्घटना के बारे में जानकारी दी गई और मंत्रिमंडल के शीर्ष सदस्यों ने जनरल रावत के निधन पर शोक व्यक्त किया।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस बैठक में प्रधानमंत्री मोदी के अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और विदेश मंत्री एस जयशंकर शामिल थे। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पी के मिश्रा और कैबिनेट सचिव राजीव गौबा भी बैठक में शामिल हुए। बैठक में सीसीएस के सदस्यों को दुखद हादसे के बारे में जानकारी दी गई।

रक्षा मंत्री ने पूर्व में प्रधानमंत्री को इस हादसे की जानकारी दी और बाद में वह नयी दिल्ली स्थित जनरल रावत के घर भी गए और उनकी छोटी बेटी से बात की। जनरल रावत के परिवार में दो बेटियां हैं। सिंह ने कहा कि वह “बेहद दुर्भाग्यपूर्ण हेलीकॉप्टर हादसे” में जनरल रावत और अन्य की मृत्यु से “बेहद व्यथित” हैं।

आधिकारिक सूत्रों और यहां के एक स्थानीय प्रत्यक्षदर्शी के अनुसार कोहरे की स्थिति में हेलीकॉप्टर कम ऊंचाई पर उड़ रहा था, और यहां एक घाटी में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। हेलीकॉप्टर पेड़ों से टकराते हुए जमीन पर गिरा और गिरते ही उसमें आग लग गई। हेलीकॉप्टर नीलगिरि जिले के पर्वतीय क्षेत्र में कुन्नूर के निकट कातेरी-नंजप्पनचथिराम इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हुआ।

एक प्रत्यक्षदर्शी पेरुमल ने बताया कि हेलीकॉप्टर गिरते समय एक मकान से भी टकराया। हालांकि घर में हादसे के वक्त किसी के नहीं रहने से कोई हताहत नहीं हुआ लेकिन मकान को इससे नुकसान हुआ। उन्होंने बताया कि आग में झुलसे दो व्यक्ति हेलीकॉप्टर से नीचे गिर गए।

हेलीकॉप्टर वन क्षेत्र में दुर्घटनाग्रस्त हुआ जिससे पेड़ों को नुकसान पहुंचा और बाद में लगी आग के कारण वे जलकर राख हो गए। स्थानीय लोग घायलों को बचाने के लिए मदद के वास्ते सबसे पहले पहुंचे। हालांकि, वे आग की भीषण लपटों के कारण पीड़ितों की मदद नहीं कर सके और उन्होंने अधिकारियों को सूचित किया। यह त्रासदी और बड़ी हो सकती थी अगर हेलीकॉप्टर मानव बस्ती से कुछ दूर नही गिरा होता।

दुर्घटनास्थल पर हेलीकॉप्टर और पेड़ों में लगी आग के कारण धुआं उठ रहा था और स्थानीय लोग व राहत कर्मी बाल्टी और पाइप के जरिये पानी डालकर उसे बुझाने की कोशिश में जुटे थे।

उत्तराखंड के पौड़ी के रहने वाले जनरल रावत आखिरी बार 2018 में अपने गांव गए थे और उनके एक रिश्तेदार ने बताया कि उनका अपनी सेवानिवृत्ति के बाद वहां एक घर बनवाने की योजना थी।

उनके चाचा भरत सिंह रावत (70) किसी काम से कोटद्वार गए थे लेकिन जैसे ही हादसे की खबर मिली वे घर लौट आए। जनरल के परिवार के लोग द्वारीखाल खंड के साइना गांव में रहते हैं।

जनरल के चाचा ने बताया कि आस पड़ोस के गांव के लोग अश्रुपूर्ण नेत्रों से परिवार के प्रति संवेदना प्रकट करने के लिये पहुंच रहे हैं।

उन्होंने कहा कि बिपिन रावत ने 2018 में गांव में अपने पिछले दौरे के दौरान उनके ‘कुलदेवता’ की पूजा भी की थी।

भरत सिंह रावत याद करते हैं कि जनरल उसी दिन रवाना हो गए थे और कहा था कि वह सेवानिवृत्त होने के बाद गांव में घर बनवाएंगे।

बतौर सीडीएस जनरल रावत तीनों सेनाओं के महत्वाकांक्षी आधुनिकीकरण परियोजना को देख रहे थे जिससे शसस्त्र बलों में बेहतर समायोजन हो और कुल मिलाकर युद्धक क्षमता बढ़े।

जनरल रावत इससे पहले 17 दिसंबर 2016 से 31 दिसंबर 2019 तक सेना प्रमुख की जिम्मेदारी निभा चुके हैं। उन्हें 31 दिसंबर 2019 को भारत का पहला प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) नियुक्त किया गया था।

सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे और सेना के अन्य सभी सदस्यों ने जनरल रावत के निधन पर शोक व्यक्त किया है।

भाषा

प्रशांत सुभाष

सुभाष

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)