अदालत ने नन बलात्कार मामले में बिशप फ्रैंको मुलक्कल को बरी किया |

अदालत ने नन बलात्कार मामले में बिशप फ्रैंको मुलक्कल को बरी किया

अदालत ने नन बलात्कार मामले में बिशप फ्रैंको मुलक्कल को बरी किया

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:53 PM IST, Published Date : January 14, 2022/2:15 pm IST

कोट्टायम (केरल), 14 जनवरी (भाषा) केरल में कोट्टायम की एक अदालत ने बिशप फ्रैंको मुलक्कल को नन से बलात्कार के आरोपों से शुक्रवार को बरी कर दिया।

अतिरिक्त जिला एवं सत्र अदालत द्वितीय ने बिशप को बरी कर दिया क्योंकि अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ सबूत पेश करने में विफल रहा था।

फैसला सुनने के लिए अदालत पहुंचे मुलक्कल ने राहत की सांस ली और इस दौरान उनकी आंखें भी नम हो गई। फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए उन्होंने अपने समर्थकों और वकीलों को गले भी लगाया।

मुलक्कल (57) ने पत्रकारों से कहा, ‘‘भगवान का शुक्रिया।’’

फैसले के बाद उनके कुछ अनुयायी खुशी से रोते हुए भी दिखाए दिए।

फैसले के तुरंत बाद जारी एक संक्षिप्त बयान में जालंधर डायोसिस ने उन सभी लोगों का शुक्रिया अदा किया, जो लगातार बिशप की बेगुनाही में विश्वास करते रहे और उन्हें आवश्यक कानूनी सहायता प्रदान करते रहे।

बिशप के कानूनी दल के एक वकील ने कहा, ‘‘ अभियोजन पक्ष, बिशप के खिलाफ आरोपों को साबित करने में बुरी तरह विफल रहा है।’’

वरिष्ठ भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी एस. हरिशंकर ने कहा कि फैसला स्वीकार्य नहीं है और इसके खिलाफ अपील की जानी चाहिए।

हरिशंकर ने बिशप के खिलाफ बलात्कार मामले में विशेष जांच दल का नेतृत्व किया था। उन्होंने कहा, ‘‘ यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण फैसला है। हमें इस मामले में उन्हें दोषी ठहराए जाने की पूरी उम्मीद थी।’’

लोक अभियोजक जितेश जे. बाबू ने भी यही भावना व्यक्त की और कहा कि पीड़िता के बयान के बावजूद ऐसा फैसला आया। उन्होंने कहा, ‘‘ इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।’’

सरकार की मंजूरी मिलने के बाद फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी जाएगी।

नन ने जून 2018 में पुलिस को दी अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि 2014 से 2016 के बीच मुलक्कल ने उनका यौन शोषण किया था। वह तब रोमन कैथोलिक चर्च के जालंधर डायोसिस के बिशप थे। कोट्टायम जिले की पुलिस ने जून 2018 में ही बिशप के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज किया था।

मामले की तहकीकात करने वाले विशेष जांच दल ने बिशप को सितंबर 2018 में गिरफ्तार किया था और उन पर गलत तरीके से बंधक बनाने, बलात्कार करने, अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने और आपराधिक धमकी देने के आरोप लगाये थे। मामले में नवंबर 2019 में सुनवाई शुरू हुई, जो 10 जनवरी को पूरी हुई थी।

अदालत ने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को उसकी अनुमति के बिना मुकदमे से संबंधित किसी भी सामग्री को प्रसारित करने पर रोक लगा दी थी।

भाषा निहारिका अनूप

अनूप

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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