अदालत ने नाबालिग लड़की से प्रेम संबंध रखने वाले युवक को पॉक्सो मामले में जमानत दी

अदालत ने नाबालिग लड़की से प्रेम संबंध रखने वाले युवक को पॉक्सो मामले में जमानत दी

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  • Publish Date - August 14, 2024 / 05:30 PM IST,
    Updated On - August 14, 2024 / 05:30 PM IST

नयी दिल्ली, 14 अगस्त (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार के आरोपी उस युवक को पॉक्सो मामले में बुधवार को जमानत दे दी, जिसके साथ उसके ‘‘प्रेम संबंध’’ थे।

न्यायालय ने इस बात पर भी गौर किया कि कानून का ‘‘गलत इस्तेमाल’’ उन युवकों के मामलों में हो रहा है, जो वयस्कता से ‘‘थोड़ी कम’’ उम्र की लड़कियों से प्रेम करते हैं और इसलिए, उनके प्रेम संबंधों का विरोध करने वाले परिवारों के कहने पर दर्ज मामलों के कारण ये युवक जेलों में हैं।

न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि 18 वर्ष से कम आयु की लड़कियों और 20 वर्ष से अधिक आयु के लड़कों के बीच सहमति से बनाये गये यौन संबंधों को लेकर ‘‘कानूनी रूप से अस्पष्टता’’ है। अदालत उस मामले की सुनवाई कर रही थी जिसमें लड़की प्रासंगिक समय पर लगभग 17 वर्ष की थी और याचिकाकर्ता अभियुक्त लगभग 21 वर्ष का था।

वर्तमान मामले में, लड़की की मां ने अपनी बेटी के संबंध में ‘‘गुमशुदगी’’ की शिकायत दर्ज कराई थी। बाद में पाया गया कि लड़की याचिकाकर्ता के साथ रह रही थी।

यह प्राथमिकी भारतीय दंड संहिता और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत अपहरण, गंभीर यौन उत्पीड़न और बलात्कार के अपराधों के लिए दर्ज की गई थी।

लड़की ने शुरू में दावा किया था कि वह स्वेच्छा से अपने प्रेमी, याचिकाकर्ता के साथ गई थी, उससे विवाह कर लिया था और अब वह गर्भवती है। बाद में वह अपने बयान से मुकर गई।

अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘‘इस अदालत का मानना ​​है कि वर्तमान मामला प्रेम संबंध का है… यह अदालत इस सवाल पर विचार नहीं कर रही है कि याचिकाकर्ता ने अपराध (पॉक्सो और आईपीसी के तहत) किया है या नहीं… यह अदालत केवल इस बात को लेकर चिंतित है कि क्या एक युवक जो पिछले तीन वर्षों से जेल में है, उसे जमानत दी जानी चाहिए या नहीं, इस तथ्य के मद्देनजर कि लड़की ने अपने बयानों में अपना रुख बदल दिया है।’’

न्यायमूर्ति प्रसाद ने कहा, ‘‘अदालत का मानना ​​है कि यदि याचिकाकर्ता जेल में ही रहेगा तो उसके एक दुर्दांत अपराधी के रूप में बाहर आने की आशंका बहुत अधिक है। इस समय अदालत द्वारा किसी युवा के भविष्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।’’

मामले में तथ्यों पर विचार करते हुए अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंची कि वह याचिकाकर्ता को कुछ शर्तों के अधीन जमानत देने की इच्छुक है और उसने उसे 20,000 रुपये की जमानत राशि और इतनी ही राशि के दो मुचलके देने को कहा।

भाषा देवेंद्र मनीषा

मनीषा