आरोपी को जमानत देते समय अदालत को अपराध की गंभीरता का आकलन करना होगा : उच्चतम न्यायालय

आरोपी को जमानत देते समय अदालत को अपराध की गंभीरता का आकलन करना होगा : उच्चतम न्यायालय

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  • Publish Date - May 26, 2021 / 11:19 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:01 PM IST

नयी दिल्ली, 26 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि किसी आरोपी को जमानत देते समय अदालत को कथित अपराध की गंभीरता का आकलन करना होगा और बिना किसी कारण के आदेश पारित करना मूल रूप से न्यायिक प्रक्रियाओं को दिशा देने वाले नियमों के विपरीत हैं।

न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड और न्यायमूर्ति एम. आर. शाह की पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को दरकिनार करते हुए यह टिप्पणी की, जिसने दहेज हत्या मामले में एक आरोपी को जमानत दे दी थी।

पीठ ने कहा, ‘‘वर्तमान मामले की तरह कथित अपराध की गंभीरता से उच्च न्यायालय अनजान नहीं हो सकता है, जहां एक महिला की शादी के एक वर्ष के अंदर ही अप्राकृतिक मौत हो गई।’’

इसने कहा, ‘‘आरोपों को देखते हुए कथित अपराध की गंभीरता का आकलन करना होगा कि दहेज के लिए उसका उत्पीड़न किया गया।’’

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि दहेज के लिए आरोपी के खिलाफ उत्पीड़न के विशिष्ट आरोप हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘बिना किसी कारण के आदेश पारित करना न्यायिक प्रक्रियाओं को दिशा दिखाने वाले मौलिक नियमों के विपरीत हैं। उच्च न्यायालय द्वारा अपराध न्याय का प्रशासन महज मंत्र बन कर नहीं रह जाता है जहां सामान्य टिप्पणियां की जाएं।’’

शीर्ष अदालत ने कहा कि कारण संक्षिप्त हो सकते हैं लेकिन इनकी गुणवत्ता मायने रखती है।

मृत महिला के भाई ने प्राथमिकी में आरोप लगाए थे कि शादी के समय 15 लाख रुपये नकद, एक वाहन और अन्य सामान दहेज के रूप में दिए गए थे लेकिन वर पक्ष और पैसे की मांग कर रहा था।

भादंसं और दहेज निषेध कानून की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।

भाषा नीरज नीरज अनूप

अनूप