पांच समुदायों के अल्पसंख्यक दर्जे को चुनौती देने वाली याचिकाओं के स्थानांतरण पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका

पांच समुदायों के अल्पसंख्यक दर्जे को चुनौती देने वाली याचिकाओं के स्थानांतरण पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका

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  • Publish Date - October 25, 2020 / 11:43 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:25 PM IST

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित उन याचिकाओं के स्थानांतरण की मांग की गई है जिनमें केंद्र की 26 साल पुरानी उस अधिसूचना की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है जिसके तहत पांच समुदायों- मुसलमान, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी – को अल्पसंख्यक घोषित किया गया है।भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर याचिका में दिल्ली उच्च न्यायालय, मेघालय उच्च न्यायालय और गौहाटी उच्च न्यायालय में लंबित उन मामलों के स्थानांतरण का अनुरोध किया गया है जिनमें राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम,1992 की धारा 2(सी) की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है जिसके तहत 23 अक्टूबर 1993 को अधिसूचना जारी की गई थी।

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अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे के जरिये दायर की गई याचिका में कहा गया कि कई वाद होने और विरोधाभासी नजरियों से बचने के लिये शीर्ष अदालत के समक्ष यह याचिका दायर की गई है। याचिका में कहा गया, “वास्तविक अल्पसंख्यकों को अल्पसंख्यक अधिकारों से वंचित रखना और अल्पसंख्यक लाभों का बहुसंख्यकों को मनमाने और अतार्किक वितरण से धर्म, नस्ल, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव के निषेध के मौलिक अधिकार का उल्लंघन होता है।”

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अपनी याचिका में याचिकाकर्ता ने कहा कि राष्ट्रीय आंकड़ों के मुताबिक बहुसंख्यक समुदाय से आने वाले हिंदू कुछ पूर्वोत्तर राज्यों और जम्मू कश्मीर में अल्पसंख्यक हैं। याचिका में कहा गया कि हिंदू समुदाय हालांकि उन राज्यों में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को मिलने वाले फायदों से वंचित है और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को इस संदर्भ में अल्पसंख्यकों की परिभाषा पर फिर से विचार करना चाहिए।

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