यौन उत्पीड़न मामले में नाबालिग पीड़िता को दोबारा जिरह के लिए बुलाने से अदालत का इनकार |

यौन उत्पीड़न मामले में नाबालिग पीड़िता को दोबारा जिरह के लिए बुलाने से अदालत का इनकार

यौन उत्पीड़न मामले में नाबालिग पीड़िता को दोबारा जिरह के लिए बुलाने से अदालत का इनकार

:   Modified Date:  December 1, 2022 / 10:10 PM IST, Published Date : December 1, 2022/10:10 pm IST

नयी दिल्ली, एक दिसंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने कथित तौर पर यौन उत्पीड़न की शिकार विशेष जरूरतों वाली पीड़ित बच्ची को दोबारा जिरह के लिए बुलाने से इनकार करते हुए कहा है कि कानून का निर्देश है कि नाबालिग को गवाही देने के लिए बार-बार अदालत में नहीं बुलाया जाना चाहिए।

उच्च न्यायालय ने कहा कि ‘यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम’ नामक विशेष कानून बच्चों के यौन शोषण एवं यौन उत्पीड़न से प्रभावी ढंग से निपटने और ऐसे जघन्य अपराधों के अपराधियों को दंडित करने के लिए लाया गया था।

इसमें कहा गया है कि पॉक्सो अधिनियम के प्रावधानों को पढ़ने से पता चलता है कि बाल गवाह के साक्ष्य दर्ज करने के लिए एक विशेष प्रक्रिया अपनाई गई है।

उच्च न्यायालय ने कहा कि पॉक्सो अधिनियम की धारा 33 की उप-धारा (5) निर्देश देती है कि विशेष अदालत यह सुनिश्चित करेगी कि नाबालिग को अदालत में गवाही देने के लिए बार-बार नहीं बुलाया जाए।

न्यायमूर्ति पूनम ए. बंबा ने एक व्यक्ति की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिस पर 2018 में अपनी नाबालिग भतीजी का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया गया था। आरोपी-याचिकाकर्ता ने पीड़िता को दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 311 के तहत जिरह के लिए वापस बुलाने की मांग की थी।

आरोपी ने निचली अदालत के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें पीड़िता को फिर से बुलाने की याचिका खारिज कर दी गयी थी। पीड़िता से मई 2019 में जिरह की जा चुकी थी।

उच्च न्यायालय ने कहा कि आरोपी के वकील ने तीन साल तक पीड़िता को फिर से बुलाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया था और उन्होंने इस तरह के कदम उठाने के लिए अन्य महत्वपूर्ण गवाहों की जिरह पूरी होने का इंतजार किया।

सीआरपीसी की धारा 311 महत्वपूर्ण गवाह को समन करने की अदालत की शक्ति से संबंधित है, जिसमें किसी भी व्यक्ति को बयान के लिए फिर से बुलाया जाना और फिर से पड़ताल करना शामिल है, यदि संबंधित व्यक्ति का साक्ष्य मामले के न्यायोचित निर्णय के लिए आवश्यक प्रतीत होता है।

भाषा सुरेश मनीषा

मनीषा

 

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