नैनीताल, 19 सितंबर (भाषा) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने दुष्कर्म के आरोपी नैनीताल दुग्ध संघ अध्यक्ष मुकेश सिंह बोरा की गिरफ्तारी पर रोक लगाने की अनुरोध वाली याचिका खारिज कर दी है।
बोरा पर स्थायी नौकरी का झांसा देकर संघ की एक विधवा महिला कर्मचारी से कथित दुष्कर्म का आरोप है।
उच्च न्यायालय ने कहा कि ऐसे जघन्य अपराध का आरोपी अंतरिम जांच में बाधा डाल सकता है और सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकता है।
न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की एकलपीठ ने बोरा की गिरफ्तारी पर रोक संबंधी याचिका पर सुनवाई के बाद 17 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
उच्च न्यायालय ने बुधवार को यह आदेश सुनाया।
पीड़िता ने बोरा पर दुष्कर्म का आरोप लगाया है। उसने बोरा पर उसकी बेटी से छेड़छाड़ करने का भी आरोप लगाया जिसके बाद उसके खिलाफ पोक्सो अधिनियम के तहत लालकुआं थाने में मुकदर्मा दर्ज किया गया।
मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए बोरा ने उच्च न्यायालय की शरण ली ।
उच्च न्यायालय की एकलपीठ ने कहा कि आरोपी किसी प्रकार की अंतरिम राहत पाने का हकदार नहीं है इसलिए यह याचिका खारिज की जाती है । इस आदेश के बाद बोरा के खिलाफ जारी गैर जमानती वारंट के आधार पर पुलिस बोरा को किसी भी समय गिरफ्तार कर सकती है ।
इससे पहले, 13 सितंबर को उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने बोरा की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी और कहा था कि न्यायमूर्ति विवेक भारती की अदालत इस मामले को 17 सितंबर को सुनेगी ।
उच्च न्यायालय ने इस बीच बोरा को मामले की जांच में सहयोग करने को कहते हुए उनसे अल्मोड़ा थाने में हर दिन अपनी हाजिरी देने का आदेश दिया था। उच्च न्यायालय ने सुनवाई की तिथि तक बोरा का नैनीताल में प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया था ।
भाषा सं दीप्ति
राजकुमार
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