नयी दिल्ली, चार दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने दिव्यांग लोगों के सामने आने वाली परेशानियों को समझने और न्याय प्रणाली तक उनकी बेहतर पहुंच सुनिश्चित करने के लिए व्यापक ‘सुगमता ऑडिट’ कराने का फैसला किया है।
‘सुगमता ऑडिट’ का अभिप्राय किसी भवन या परिवेश या सेवा से जुड़े मानकों के पालन संबंधी आकलन से है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि यह दिव्यांगजनों के लिए सुगम है या नहीं।
हर साल तीन दिसंबर को मनाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस पर प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने सुगमता पर उच्चतम न्यायालय की एक समिति का गठन किया।
उच्चतम न्यायालय ने एक बयान में कहा कि न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की अध्यक्षता वाली समिति को सुगमता ऑडिट करने का निर्देश दिया गया है।
बयान में कहा गया है, ‘‘समिति को उच्चतम न्यायालय आने वाले दिव्यांग लोगों के सामने आने वाली दिक्कतों का पता लगाने के लिए उनके लिए एक प्रश्नावली तैयार करने तथा उसे जारी करने का काम दिया गया है।’’
इसमें कहा गया है कि समिति उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ताओं, वादियों और प्रशिक्षुओं की भी राय लेगी। समिति में बेंगलुरु स्थित नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी का एक प्रोफेसर भी शामिल होगा।
भाषा गोला पारुल
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