नयी दिल्ली, 18 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को उस कानून के अनेक प्रावधानों को बरकरार रखा जिसके तहत राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) का गठन किया गया था। शीर्ष अदालत ने प्रत्येक राज्य और केंद्रशासित प्रदेश में एनजीटी की एक शाखा खोलने की याचिका को खारिज भी कर दिया।
न्यायमूर्ति के एम जोसफ और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय की पीठ ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय अधिवक्ता बार संघ की याचिका को खारिज करते हुए यह भी कहा कि एनजीटी के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत में सीधे अपील दाखिल करने का प्रावधान ‘अधिकार क्षेत्र’ में आता है और उच्च न्यायालयों के अधिकार के बाहर का नहीं।
फैसले के अनुसार, ‘‘महत्वपूर्ण बात यह है कि उच्च न्यायालय के समक्ष अपील दाखिल करने का अधिकार कानून द्वारा सृजित है और यह अंतर्निहित अधिकार नहीं है। इसलिए उच्च न्यायालय में अपील का प्रावधान कोई परमादेश (मैंडेमस) जारी करके नहीं बनाया जाना चाहिए क्योंकि ऐसा करना न्यायिक आदेश के माध्यम से कानून बनाना होगा और अधिकारों के विभाजन की सुस्थापित अवधारणा को प्रभावित करना होगा।’’
पीठ ने कहा कि इस बात की भी अनदेखी नहीं की जा सकती कि उच्चतम न्यायालय ने ही एक पर्यावरण अदालत गठित करने की सिफारिश की थी जिसमें सीधे अपील की जा सकती है।
भाषा वैभव माधव
माधव
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