कानून की प्रासंगिकता सुनिश्चित करना अदालतों का कर्तव्य है: न्यायमूर्ति बी आर गवई

कानून की प्रासंगिकता सुनिश्चित करना अदालतों का कर्तव्य है: न्यायमूर्ति बी आर गवई

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  • Publish Date - March 27, 2024 / 08:57 PM IST,
    Updated On - March 27, 2024 / 08:57 PM IST

नयी दिल्ली, 27 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश बी. आर. गवई ने कहा कि यह सुनिश्चित करना अदालतों का कर्तव्य है कि बदलते सामाजिक मानदंडों के बीच कानून प्रासंगिक बना रहे।

न्यायमूर्ति गवई ने यह भी कहा कि संविधान भारत में शासन संरचना के उपनिवेशवाद से लोकतंत्र में परिवर्तन का प्रमाण है।

उन्होंने कोलंबिया लॉ स्कूल में अपने संबोधन में कहा कि मतदाताओं को उम्मीदवारों के बारे में जानकारी रखने का अधिकार है। उन्होंने चुनावी बॉण्ड मुद्दे पर शीर्ष अदालत के हालिया फैसले का हवाला दिया।

मई 2025 में प्रधान न्यायाधीश बनने की कतार में शामिल न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि चुनावी बॉण्ड पर जानकारी का खुलासा ‘राजनीतिक दलों को चंदे की सूचनात्मक गोपनीयता’ के आधार पर प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है।

उन्होंने ‘परिवर्तनकारी संविधानवाद के 75 वर्ष’ विषय पर अपने संबोधन के दौरान कहा, ‘‘अदालतें संविधान की सर्वोच्चता को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।’’

न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि भारतीय संविधान देश में शासन संरचना के उपनिवेशवाद से लोकतंत्र और ‘महारानी के आदेश’ से ‘लोगों की इच्छा’ में परिवर्तन का प्रमाण है।

शीर्ष अदालत के न्यायाधीश ने कहा कि लोकतंत्र और न्यायिक समीक्षा के सिद्धांत आपस में जुड़े हुए हैं और एक-दूसरे के पूरक हैं। उन्होंने कहा, ये संविधान की मूल संरचना का मूल हैं।

न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि शीर्ष अदालत ने लोकतंत्र की सफलता के लिए संविधान के सिद्धांतों और कानूनों के साथ चुनावी प्रक्रिया के अनुपालन की आवश्यकता को रेखांकित किया है।

भाषा सुरेश माधव

माधव