चक्रवात ‘रेमल’ ने बंगाल में तीन लोगों की जान ली, प्रभावित इलाकों का जल्द दौरा करूंगी : ममता

चक्रवात ‘रेमल’ ने बंगाल में तीन लोगों की जान ली, प्रभावित इलाकों का जल्द दौरा करूंगी : ममता

  •  
  • Publish Date - May 27, 2024 / 07:37 PM IST,
    Updated On - May 27, 2024 / 07:37 PM IST

कोलकाता, 27 मई (भाषा) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा कि प्रचंड चक्रवात ‘रेमल’ ने राज्य में तीन लोगों की जान ले ली और भरोसा दिलाया कि प्रशासन आपदा प्रभावित लोगों की सहायता करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

उन्होंने यहां बड़ाबाजार में एक चुनावी रैली में कहा, ‘‘मैं रविवार से स्थिति की करीबी निगरानी कर रही हूं। हमारे तीन साथी नागरिकों की इस चक्रवात में जान चली गई। मैं उनके परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करती हूं।’’

मुख्यमंत्री ने स्थिति कुछ ठीक होने के बाद चक्रवात प्रभावित इलाकों का दौरा करने के अपने इरादे की घोषणा की। उन्होंने घोषणा की, ‘‘कई लोगों का कच्चा मकान ढह गया और फसलें नष्ट हो गईं। हम सभी आवश्यक कदम उठाएंगे।’’

उन्होंने चक्रवात प्रभावित आबादी को सहायता पहुंचाने पर जोर देते हुए कहा, ‘‘चुनाव प्रचार के कुछ ही दिन बचे होने के बावजूद, चौबीस घंटे नियंत्रण कक्ष में रहने के बाद मुझे यह सभा संबोधित करनी थी।’’

इससे पहले, प्रशासन के सूत्रों ने दावा किया था कि पांच व्यक्तियों- कोलकाता में एक, दक्षिण 24 परगना में दो, और पूर्वी मेदिनीपुर में एक पिता-पुत्र – की चक्रवात से जुड़ी अलग-अलग घटनाओं में मौत हो गई।

पश्चिम बंगाल के तटीय इलाकों में चक्रवाती तूफान ‘रेमल’ के पहुंचने के एक दिन बाद सोमवार को भारी तबाही का मंजर दिखा। तूफान के यहां पहुंचने पर बीती रात 135 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चली थीं।

इस चक्रवाती तूफान ने बंगाल के सागर द्वीप और बांग्लादेश के खेपुपारा के बीच के तटीय इलाकों पर भारी तबाही मचाई। ‘रेमल’ के पहुंचने की प्रक्रिया की शुरुआत रविवार रात साढ़े आठ बजे से शुरू हुई थी। तूफान ने बुनियादी ढांचा और संपत्तियों को भारी नुकसान पहुंचाया है।

‘रेमल’ से तटीय इलाकों में हुई क्षति को देखा जा सकता है। झोपड़ियों की छत हवा में उड़ गयीं, पेड़ उखड़ गये और बिजली के खंभे गिर गये, जिस कारण कोलकाता सहित राज्य के कई हिस्सों में बिजली की आपूर्ति प्रभावित हुई।

कई इलाकों से जलभराव की खबरें मिली हैं जिसके कारण प्रभावित लोगों की मुश्किलें और बढ़ गयीं।

भाषा सुभाष प्रशांत

प्रशांत