नयी दिल्ली, चार दिसंबर (भाषा) दिल्ली की एक स्थानीय अदालत ने दंगा करने, सुरक्षाकर्मियों पर तेजाब फेंकने और ईंट से हमला करने जैसे विभिन्न मामलों में आरोपी दो व्यक्तियों को बरी कर दिया और कहा कि उनके खिलाफ कोई पर्याप्त सबूत नहीं है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला ने आरोपी असरफ अली और परवेज के खिलाफ एक मामले पर सुनवाई की जिनपर उस दंगाई भीड़ का हिस्सा होने का आरोप था जिसने पूर्वोत्तर दिल्ली में सांप्रदायिक दंगों के दौरान शिव विहार इलाके में 25 फरवरी, 2020 को छतों से कांच की बोतलें, तेजाब और ईंटों से सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) की टुकड़ी पर हमला किया था।
अभियोजन पक्ष ने कहा कि हमले में एसएसबी के दो जवान घायल हुए थे।
एकमात्र प्रत्यक्षदर्शी की गवाही पर ध्यान देते हुए न्यायाधीश ने कहा कि उसने पास के स्कूल में तेजाब फेंके जाने के बारे में कुछ नहीं कहा। साथ ही इसने उस विशेष भीड़ के बारे में भी नहीं बताया जिसने अपराध किया था।
न्यायाधीश ने कहा,”प्रत्यक्षदर्शी की गवाही पुलिस और एसएसबी टीम पर तेजाब की बोतल फेंकने में दोनों आरोपियों की मिलीभगत को स्थापित नहीं करती है, जिसके परिणामस्वरूप इस मामले के पीड़ितों को चोटें आईं।”
न्यायाधीश ने कहा कि दोनों की संलिप्तता के सबूत के अभाव में भारतीय दंड संहिता की धारा 188 (लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश की अवज्ञा) के तहत अपराध को नजरअंदाज किया जाना चाहिए।
अदालत ने शनिवार को दिए आदेश में कहा,”इस मामले में दोनों आरोपियों को उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों से बरी कर दिया गया है।”
भाषा अभिषेक संतोष
संतोष
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