नयी दिल्ली, पांच दिसंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने एकल न्यायाधीश की पीठ के उस आदेश को रद्द कर दिया है जिसमें यहां इटली के दूतावास में काम करने वाले भारतीय मूल के कर्मचारियों की वेतन भुगतान में भेदभाव का दावा करने संबंधी याचिका को खारिज कर दिया गया था।
न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल और न्यायमूर्ति रेणु भटनागर की पीठ एकल न्यायाधीश की पीठ के मई 2019 के आदेश के खिलाफ अपील पर सुनवाई कर रही थी। एकल न्यायाधीश की पीठ ने इस संबंध में कार्रवाई का कोई कारण नहीं पाने पर मुकदमे को खारिज कर दिया था।
कर्मचारियों ने वेतन और भुगतान में भेदभाव का आरोप लगाते हुए मुकदमा दायर किया था और कहा था कि यह 2000 के इतालवी राष्ट्रपति के आदेश का उल्लंघन है। इसे खारिज किए जाने पर वर्तमान अपील दायर की गई थी और कहा गया था कि एकल न्यायाधीश की पीठ ने शिकायत को खारिज करने से संबंधित कानून की ‘‘गलत व्याख्या और गलत प्रयोग’’ किया है।
न्यायमूर्ति क्षेत्रपाल एवं न्यायमूर्ति भटनागर की पीठ ने तीन दिसंबर के आदेश में कहा, ‘‘अदालत का मानना है कि एकल न्यायाधीश द्वारा कार्रवाई का कोई कारण नहीं होने के आधार पर वाद को खारिज किया जाना त्रुटिपूर्ण है।’’
पहले के आदेश को रद्द करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि याचिका में कार्रवाई का कारण बताया गया है और इसे आगे बढ़ने दिया जाना चाहिए।
उच्च न्यायालय ने कहा कि चूंकि अपीलकर्ता (भारतीय मूल के कर्मचारी) और उनके इतालवी मूल के समकक्ष स्थानीय स्तर पर भर्ती किए गए थे तथा रोजगार से पहले कम से कम दो साल तक भारत में रहे थे इसलिए उन्हें एक समरूप श्रेणी के रूप में वर्गीकृत करने का तथ्यात्मक आधार ‘‘ठोस’’ है।
अदालत ने कहा, ‘‘इससे राष्ट्रपति के आदेश के तहत वेतन समानता को कानूनी अधिकार मानने का प्रथम दृष्टया कारण बनता है। अपीलकर्ताओं को अपने दावे साबित करने की अनुमति दी जानी चाहिए थी। हालांकि, अपीलकर्ताओं के मामले को गलत तरीके से समझा गया और तथ्यों को गलत तरीके से उनके लिए हानिकारक माना गया।’’
भाषा सुरभि राजकुमार
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