दिल्ली उच्च न्यायालय ने एनएससीएन-आईएम के कथित सदस्य को जमानत देने से किया इनकार

दिल्ली उच्च न्यायालय ने एनएससीएन-आईएम के कथित सदस्य को जमानत देने से किया इनकार

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  • Publish Date - May 21, 2024 / 09:08 PM IST,
    Updated On - May 21, 2024 / 09:08 PM IST

नयी दिल्ली, 21 मई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड- ईसाक मुइवा (एनएससीएन-आईएम) के कथित सदस्य मसासोसांग एओ को जमानत देने से इनकार कर दिया है।

मसासोसांग से जुड़े मामले की जांच गैर कानूनी गतिविधि निवारण अधिनियम (यूएपीए) के तहत राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) कर रहा है।

मसासोसांग ने अधीनस्थ अदालत द्वारा जमानत अर्जी खारिज किए जाने को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में अपील दाखिल की थी जिसे न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत की अध्यक्षता वाली पीठ ने खारिज कर दिया। मसासोसांग, सरकारी कर्मचारी है और नगालैंड के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) में पदस्थ है एवं उसपर एनएससीएन-आईएम के लिए चंदा जुटाने/उगाही करने का आरोप है।

अदालत ने टिप्पणी की कि आरोपों के अनुसार अपीलकर्ता ने धोखाधड़ी कर ‘‘आतंकवादी के कोष’ को छिपाया और उसे ‘निराधार दावे’ कि खाते उसके थे लेकिन प्रबंधन अन्य सह आरोपी कर रहे थे, के आधार पर कानून से भागने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

अदालत ने यह भी कहा गया है कि विभिन्न गवाहों के बयानों के मद्देनजर, आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए के तहत दंडनीय अपराध करने में अपीलकर्ता की संलिप्तता और मिलीभगत स्पष्ट रूप से इंगित होती हैं।

पीठ ने 13 मई को पारित आदेश में कहा, ‘‘अपीलकार्ता के सरकारी कर्मचारी होने के नाते ऐसे खातों से लेन देन होने की गंभीरता को लेकर सतर्क रहना चाहिए। एक सरकारी कर्मचारी होने के नाते, उन्हें केवल मौखिक रूप से यह कह मुक्त नहीं होने दिया जा सकता कि उनका इन खातों से कोई सरोकार नहीं था क्योंकि इनका प्रबंधन मामले के सह-अभियुक्तों द्वारा किया जाता था।’’इस पीठ में न्यायमूर्ति मनोज जैन भी शामिल थे।

अदालत ने कहा, ‘‘हम इस मौजूदा अपील में कोई तथ्य नहीं पाते और इसलिए इसे खारिज किया जाता है।

अधीनस्थ अदालत ने मसासोसांग को 12 दिसंबर 2022 को जमानत देने से इनकार कर दिया था।

भाषा धीरज पवनेश

पवनेश