उच्च न्यायालय ने गिरफ्तार नेताओं को डिजिटल तरीके से प्रचार की अनुमति संबंधी याचिका खारिज की

उच्च न्यायालय ने गिरफ्तार नेताओं को डिजिटल तरीके से प्रचार की अनुमति संबंधी याचिका खारिज की

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  • Publish Date - May 1, 2024 / 03:04 PM IST,
    Updated On - May 1, 2024 / 03:04 PM IST

नयी दिल्ली, एक मई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने गिरफ्तार नेताओं को डिजिटल तरीके से चुनाव प्रचार करने की अनुमति देने संबंधी एक याचिका बुधवार को खारिज कर दी और कहा कि यह अर्जी ‘बहुत ही दुस्साहसिक’ एवं कानून के मौलिक सिद्धांतों के विरुद्ध है।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पी. एस. अरोड़ा की पीठ ने कहा कि अदालतें नीतिगत निर्णय नहीं लेती हैं और ऐसे मुद्दों पर निर्णय लेना संसद का काम है।

पीठ ने कहा, ‘‘हम ऐसे किसी भी व्यक्ति को चुनाव प्रचार करने की अनुमति नहीं दे सकते जो हिरासत में है। अन्यथा, सभी बलात्कारी, हत्यारे चुनाव से महज पहले राजनीतिक दल बनाने लगेंगे।’’

उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता को जुर्माना लगाने की चेतावनी दी, लेकिन बाद में ऐसा न करने को आग्रह उस वक्त स्वीकार कर लिया, जब उसके वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता एक छात्र है।

अदालत विधि छात्र अमरजीत गुप्ता की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। गुप्ता निर्वाचन आयोग द्वारा आदर्श आचार संहिता की घोषणा किये जाने के बाद नेताओं, खासकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, की गिरफ्तारी के समय को लेकर आहत हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘ठीक है, हम जुर्माना नहीं लगायेंगे, लेकिन आप उन्हें (याचिकाकर्ता को) शक्तियों के विभाजन के बारे में बताइए।’’

सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, ‘‘आप बहुत ही दुस्साहसी बन रहे हैं। यह बहुत ही दुस्साहसपूर्ण है। यह याचिका कानून के मौलिक सिद्धांतों के विरुद्ध है। आप हमें कानून के विरुद्ध काम करने को कह रहे हैं। हम कानून नहीं बनाते हैं, हम नीतिगत निर्णय नहीं लेते हैं।’’

पीठ ने कहा, ‘‘हम राजनीति से दूर रहना चाहते हैं और आज ज्यादा से ज्यादा लोग हमें राजनीति में धकेल रहे हैं। आप हमें राजनीति में अधिक खींच रहे हैं। एक व्यक्ति आता है और कहता है कि उसे (केजरीवाल की ओर प्रत्यक्ष इशारा करते हुए) जेल से बाहर कीजिए, एक व्यक्ति कहता है कि उसे जेल में रखिए। आरोपी कानूनी उपचार का रास्ता अपना रहा है। अदालतें न्यायिक मस्तिष्क लगाकर आदेश जारी कर रही हैं।’’

उच्च न्यायालय ने कहा कि इस याचिका में प्रचार पाने की बात शामिल है।

जब याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि आदर्श आचार संहिता के लागू हो जाने के बाद किसी को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता, तब न्यायालय ने कहा, ‘‘यदि एक प्रत्याशी चुनाव लड़ रहा है और हत्या कर देता है, तो इसका क्या यह मतलब है कि आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण उसे गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।’’

पीठ ने कहा, ‘आप क्या कर रहे हैं? कृपया समझें। हत्या और बलात्कार में शामिल लोग चुनाव से पहले राजनीतिक दल बनाना शुरू कर देंगे। इसमें हस्तक्षेप करना हमारा काम नहीं है। हम कानून नहीं बना सकते।’

भाषा

राजकुमार सुरेश

सुरेश