दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने माता-पिता के प्रभाव में रहने वाली पत्नी से व्यक्ति के तलाक को मंजूरी दी

दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने माता-पिता के प्रभाव में रहने वाली पत्नी से व्यक्ति के तलाक को मंजूरी दी

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  • Publish Date - February 14, 2024 / 10:01 PM IST,
    Updated On - February 14, 2024 / 10:01 PM IST

नयी दिल्ली, 14 फरवरी (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक व्यक्ति को उसकी पत्नी की क्रूरता के आधार पर तलाक की मंजूरी दी है, जो अपने माता-पिता के प्रभाव में थी और पति के साथ संबंध बनाने के लिए उनसे ‘अलग’ नहीं हो सकती थी।

न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि यह स्पष्ट है कि महिला के मायके वाले उसके दाम्पत्य जीवन में ‘अवांछित हस्तक्षेप’ कर रहे थे, जिससे पति को अत्यधिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा।

उच्च न्यायालय एक परिवार अदालत के आदेश के खिलाफ पति की अपील पर फैसला सुनाते हुए कहा कि दोनों पक्ष करीब 13 साल से अलग रह रहे हैं, जिस दौरान इस दौरान व्यक्ति को उसके वैवाहिक रिश्ते से वंचित कर दिया गया और उन्हें विभिन्न एजेंसियों के समक्ष कई शिकायतों का भी सामना करना पड़ा, जो ‘क्रूर कृत्य’ थे।

परिवार अदालत ने पति की तलाक अर्जी को मंजूर करने से इनकार कर दिया था।

पीठ ने एक हालिया आदेश में कहा, ‘‘इसलिए, हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि अपीलकर्ता (पति ने) सफलतापूर्वक यह साबित किया है कि प्रतिवादी (पत्नी) ने उनके साथ क्रूरता की और वह तलाक के हकदार हैं।’’

पीठ में न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा भी शामिल हैं।

अदालत ने कहा, ‘‘(पत्नी का आचरण) स्पष्ट रूप से अपीलकर्ता के इस बयान की पुष्टि करता है कि वह अपने माता-पिता के प्रभाव में थी और उनसे अलग होने तथा अपीलकर्ता के साथ संबंध बनाने में असमर्थ थी।’’

पीठ ने कहा, ‘‘स्पष्ट रूप से, विवाह और इसके साथ आने वाले दायित्वों को अस्वीकार कर दिया गया। प्रतिवादी के ऐसे आचरण को अपीलकर्ता के प्रति केवल मानसिक क्रूरता कहा जा सकता है।’’

अदालत ने कहा कि इस रिश्ते को जारी रखने की कोई भी कोशिश दोनों पक्षों पर और भी क्रूरता को बढ़ावा देगी।

अदालत ने कहा कि इस मामले में, सबूतों से यह साबित होता है कि दोनों पक्षों के बीच सुलह की कोई संभावना नहीं है।

भाषा सुभाष माधव

माधव