दिल्ली दंगे : पुलिस ने अदालत की आपत्ति के बाद अलग से आरोप पत्र दाखिल किया |

दिल्ली दंगे : पुलिस ने अदालत की आपत्ति के बाद अलग से आरोप पत्र दाखिल किया

दिल्ली दंगे : पुलिस ने अदालत की आपत्ति के बाद अलग से आरोप पत्र दाखिल किया

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:22 PM IST, Published Date : September 13, 2021/4:52 pm IST

नयी दिल्ली, 13 सितंबर (भाषा) उत्तर पूर्वी दिल्ली में पिछले साल हुई सांप्रदायिक हिंसा के दौरान कथित तौर दंगे फैलाने की कई शिकायतों को मिलाकर एक प्राथमिकी में तब्दील करने की पुलिस की कार्रवाई पर अदालत ने आपत्ति जताई थी जिसके बाद उसने संबंधित मामलों को अलग कर अलग से आरोप पत्र दाखिल करने का फैसला किया।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने सवाल किया था कि दिल्ली के भजनपुरा इलाके के सी, डी और ई ब्लॉक में अलग-अलग तारीख को हुई कथित दंगे, चोरी और आगजनी की पांच अलग-अलग घटनाओं को पुलिस ने क्यों एक ही प्राथमिकी में मिलाकर आरोप पत्र दाखिल किया है।

मामले में 10 सितंबर को दाखिल स्थिति रिपोर्ट में भजनपुरा के थाना प्रभारी ने जवाब दिया कि डी और ई ब्लॉक में हुई घटनाओं की अलग से जांच की जाएगी और उन सभी तीन मामलों में अलग से आरोप पत्र दखिल किए जाएंगे जिस पर अदालत से सहमति दे दी।

वहीं, सी ब्लॉक में दंगे फैलाने के दो अन्य मामलों पर अदालत ने पहले ही दाखिल किए गए आरोप पत्र पर विचार करने पर सहमति जताई।

इस मामले में दो आरोपियों- नीरज और मनीष- को दो शिकायतों के आधार पर गिरफ्तार किया गया है, जो दुकानदारों ने दर्ज कराई थी और आरोप लगाया था कि सांप्रदायिक हिंसा के दौरान दंगाइयों ने उनकी दुकानों को कथित तौर पर लूटा और तोड़फोड़ की।

अभियोग तय करते समय सत्र न्यायाधीश ने आरोपियों के खिलाफ आगजनी की धारा यह रेखांकित करते हुए हटा दी कि दुकानदारों ने आगजनी का आरोप नहीं लगाया है और सीसीटीवी फुटेज भी इसकी तसदीक नहीं करती है।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश यादव ने अपने 10 सितंबर के आदेश में कहा, ‘‘शिकायतों और बयानों की गहनता से विश्लेषण से खुलासा होता है कि किसी ने भी आरोपियों की पहचान दंगाई भीड़ में शामिल व्यक्तियों के तौर पर नहीं की जिसने उनकी दुकानों में तोड़फोड़ की थी।’’

उन्होंने रेखांकित किया कि शिकायत में आगजनी का आरोप नहीं लगाया गया था ऐसे में भारतीय दंड संहिता की धारा-436 इसमें लागू नहीं की जा सकती।

अदालत ने रेखांकित किया कि अलग-अलग दिन की शिकायतें एक साथ जोड़ दी गई हैं जबकि एक शिकायत के मुताबिक अपराध 24 फरवरी को हुआ। वहीं दूसरी शिकायत में 25 फरवरी की घटना की बात की गई।

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘ जांच एजेंसी द्वारा क्या अलग-अलग तारीख की घटनाओं को एक प्राथमिकी में जोड़ा जा सकता है, सवाल है कि सुनवाई के दौरान किस मामले को देखा जाएगा।’’

उन्होंने कहा कि आरोप पत्र में लगाए गए अन्य अभियोग जैसे भारतीय दंड संहिता की धारा- 147 (दंगा करना), 148 (प्राणघातक हथियारों के साथ दंगा करना), 149 (गैर कानूनी तरीके से जाम होना), 380 (चोरी), 427 (उपद्रव) और 455 (जबरन घर में घुसना) खासतौर पर सुनवाई करने योग्य है।

उन्होंने इस मामले को मुख्य महानगर दंडाधिकारी की अदालत में स्थानांतरित करने का आदेश दिया।

गौरतलब है कि पिछले साल फरवरी में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ और समर्थकों के बीच झड़प के बाद उत्तर पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक दंगे फैल गए थे जिसमें कम से कम 53 लोगों की मौत हुई थी और करीब 700 लोग घायल हुए थे।

भाषा धीरज दिलीप मनीषा अनूप

अनूप

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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