नशे के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए दृढ़ प्रयासों की आवश्यकता: राज्यपाल शुक्ला
नशे के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए दृढ़ प्रयासों की आवश्यकता: राज्यपाल शुक्ला
शिमला, सात दिसंबर (भाषा) हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने रविवार को कहा कि राज्य में नशे के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए समन्वित और दृढ़ प्रयासों की आवश्यकता है।
गैर-सरकारी संगठनों के समूह ‘संजीवनी’ द्वारा आयोजित ‘वार ऑन ड्रग्स- चिट्टे पर चोट’ विषय पर आयोजित राज्य स्तरीय कार्यशाला के उद्घाटन के बाद राज्यपाल ने कहा कि नशे के खिलाफ लड़ाई में पुलिस की कड़ी कार्रवाई के साथ-साथ इससे प्रभावित लोगों के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाना भी अत्यंत आवश्यक है।
शुक्ला ने कहा कि समाज से नशे के उन्मूलन के लिए गैर-सरकारी संगठनों के साथ-साथ धार्मिक संस्थाओं की भागीदारी भी महत्त्वपूर्ण है और विदेशी एजेंसियों द्वारा संचालित नशे के नेटवर्क को तोड़ने के लिए समाज का सामूहिक प्रयास जरूरी है।
शुक्ला ने नशे के खिलाफ प्रदेश सरकार के प्रयासों तथा विधानसभा में सत्तापक्ष व विपक्ष द्वारा इस मुद्दे पर एकजुटता दिखाने के प्रयासों की सराहना की।
उन्होंने कहा, ‘‘सामूहिक राजनीतिक इच्छाशक्ति से देवभूमि को इस संकट से बचाया जा सकता है।’’
उन्होंने कहा कि ‘चिट्टे पर चोट’ केवल एक अभियान नहीं, बल्कि एक संकल्प है।
राज्यपाल ने कहा कि यह संगठन, विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों को सरकार के साथ मिलकर नशा रोकथाम, परामर्श, पुनर्वास, प्रशिक्षण और जमीनी स्तर पर जागरूकता से जुड़े कार्यों में सहयोग करने के लिए मंच प्रदान कर रहा है।
राज्यपाल ने कहा कि संगठित प्रयास, योजनाबद्ध रणनीतियां और जनसहभागिता ही ‘चिट्टे पर चोट’ अभियान को सफल बना सकती हैं।
उन्होंने कहा कि समाज, मीडिया, धार्मिक संस्थान, खेल संगठन, स्वयंसेवी समूह और युवा क्लब नशे के विरूद्ध एक साथ आवाज उठाकर सार्थक बदलाव ला सकते हैं।
हिमाचल प्रदेश में, ‘चिट्टा’ शब्द का इस्तेमाल कम गुणवत्ता वाली या मिलावट वाली हेरोइन के लिए किया जाता है।
भाषा
खारी नरेश
नरेश

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