नयी दिल्ली, 14 सितंबर (भाषा) दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालय बुधवार से स्नातक और परास्नातक पाठ्यक्रम के अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों के वास्ते प्रायोगिक विषयों के लिए प्रयोगशाला सत्र शुरू करने को तैयार हैं। इसी कड़ी में गूगल फॉर्म पर अभिभावकों की सहमति, प्रयोगशालाओं को रोगाणु मुक्त करने और विद्यार्थियों से टीकाकरण की स्थिति की जानकरी लेने जैसे कुछ कदम है, जो उठाए गए हैं।
महाविद्यालयों के प्राचार्यों ने कहा कि वे बुधवार को कम संख्या में विद्यार्थियों के उपस्थित होने की उम्मीद कर रहे हैं, क्योंकि अधिकतर विद्यार्थी दिल्ली से बाहर हैं और वे आ नहीं पाएंगे।
हिंदू कॉलेज की प्राचार्य डॉ. अंजू श्रीवास्तव ने कहा,‘‘हमने अभिभावकों की सहमति लेने के लिए गूगल फॉर्म पोस्ट किया है। हम सिद्धांत की कक्षाएं ऑनलाइन चला रहे हैं जबकि प्रायोगिक कक्षाएं ऑफलाइन लेकिन यह व्यवस्था उन विद्यार्थियों के अनुकूल नहीं है जो दिल्ली से बाहर हैं, इसलिए संभवत: कई ने महाविद्यालय आने की जानकारी नहीं दी है।’’ उन्होंने कहा कि उनके यहां विद्यार्थियों की संख्या सीमित होगी, जिनका प्रबंधन किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘उदाहरण के लिए अगर 25 विद्यार्थी आते हैं तो हम उन्हें दो समूहों में बांट देंगे। इसका अभिप्राय होगा कि एक बड़ी प्रयोगशाला में 12 से 15 से अधिक विद्यार्थी नहीं होंगे जबकि छोटी प्रयोगशालाओं में विद्यार्थियों की संख्या 10 से अधिक नहीं होगी।’’
दिल्ली विश्वविद्यालय के महाविद्यालयों के डीन और भास्कराचार्य कॉलेज ऑफ ऐप्लाइड सांइसेज के प्राचार्य प्रोफेसर बलराम पाणि ने कहा कि दिल्ली के विद्यार्थियों के आने की उम्मीद है। अगर दिल्ली के बाहर के विद्यार्थी आते हैं तो उन्हें ठहरने के लिये जगह पाने में समस्या होगी।
राजधानी कॉलेज के प्राचार्य डॉ.राजेश गिरि ने कहा कि उन्होंने विद्यार्थियों को गूगल फॉर्म भेजे हैं, ताकि वे अपने अभिभावकों की सहमति ले सकें। फॉर्म में उन्हें टीकाकरण की स्थिति और कॉलेज आने के साधन आदि की भी जानकारी देनी होगी।
भाष धीरज दिलीप
दिलीप
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