नयी दिल्ली, 16 सितंबर (भाषा) जन्म से ही जिगर के दुर्लभ कैंसर से पीड़ित एक बच्ची ने तीन महीने लंबे कठिन इलाज के बाद अंतत: अपनी बीमारी पर जीत पा ली है।
गुरुग्राम में स्थित फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट के डॉक्टरों की टीम ने शुक्रवार को बताया कि एक सर्जरी और कीमोथैरेपी के छह चरणों के बाद बच्ची अब कैंसर मुक्त है। जब बच्ची को अस्पताल लाया गया था तब वह मात्र आठ दिन की थी।
डॉक्टरों ने बताया कि नेपाल की यह बच्ची जिगर के दुर्लभ कैंसर हेप्टोब्लास्टोमा से पीड़ित थी।
उन्होंने बताया कि नवजात बच्चे में जिगर के कैंसर की संभावना 12 लाख में एक बच्चे में होती है और हेप्टोब्लास्टोमा इससे भी दुर्लभ है।
पेडियाट्रिक्स हीमैटोलॉजी, आंकोलॉजी और बीएमटी विभाग के प्रधान निदेशक विकास दुआ के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने बच्ची की एक सर्जरी की और उसकी छह चरणों में कीमोथैरेपी की गई।
दुआ ने कहा, ‘‘बच्ची हमारे पास आई थी तब वह महज आठ दिन की थी और उसके जिगर में बड़ा ट्यूमर था। इतनी छोटी बच्ची का इलाज चुनौती भरा काम था। लेकिन उसने कीमोथैरेपी को बर्दाश्त किया और उसके शरीर पर इसका कोई विशेष कुप्रभाव भी नहीं हुआ है।’’
पेट के अल्ट्रासाउंड में पता चला कि बच्ची के जिगर में दो ट्यूमर हैं। उसकी कीमोथैरेपी तत्काल शुरू की गई, फिर एक सर्जरी की गई और फिर से उसकी कीमोथैरेपी की गई। इस दौरान अत्यधिक सावधानी बरती गई।
अब बच्ची तीन महीने की है और एहतियात के तौर पर डॉक्टर उसके स्वास्थ्य पर नजर रखे हुए हैं।
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भाषा अर्पणा मनीषा
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