निर्वाचन आयोग के पास एसआईआर कराने का कानूनी आधार नहीं, मतपत्रों से चुनाव हों: मनीष तिवारी

निर्वाचन आयोग के पास एसआईआर कराने का कानूनी आधार नहीं, मतपत्रों से चुनाव हों: मनीष तिवारी

निर्वाचन आयोग के पास एसआईआर कराने का कानूनी आधार नहीं, मतपत्रों से चुनाव हों: मनीष तिवारी
Modified Date: December 9, 2025 / 12:55 pm IST
Published Date: December 9, 2025 12:55 pm IST

नयी दिल्ली, नौ दिसंबर (भाषा) कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने मंगलवार को लोकसभा में दावा किया कि निर्वाचन आयोग के पास विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) कराने का कोई कानूनी आधार नहीं है और इस प्रक्रिया को बंद किया जाना चाहिए।

उन्होंने सदन में चुनाव सुधारों पर चर्चा की शुरुआत करते हुए यह भी कहा कि 2023 के निर्वाचन कानून में बदलाव कर मुख्य निर्वाचन आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की चयन समिति में राज्यसभा में विपक्ष के नेता और प्रधान न्यायाधीश को शामिल किया जाए, फिर से मतपत्रों से चुनाव कराए जाएं तथा चुनावों से पहले लोगों के खातों में नकदी भेजने के चलन पर अंकुश लगाया जाए।

चंडीगढ़ से लोकसभा सदस्य ने कहा, ‘‘यह दुर्भाग्य के साथ कहना पड़ रहा है कि बहुत सारे लोगों को निर्वाचन आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाने की जरूरत पड़ रही है।

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उन्होंने कहा, ‘‘2023 में जो निर्वाचन कानून बना था, उसमें संशोधन होना चाहिए। चयन समिति में दो और लोग जोड़े जाएं। राज्यसभा में विपक्ष के नेता और प्रधान न्यायाधीश को इसमें शामिल किया जाए।’’

उनका कहना था कि अगर ऐसी समिति बनेगी तो लोगों के मन में जो संदेह है, उसका समाधान करने में मदद मिलेगी।

मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्त (नियुक्ति, सेवा-शर्तें और कार्यकाल) अधिनियम, 2023 के तहत तीन सदस्यीय चयन समिति में प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और एक कैबिनेट मंत्री शामिल होते हैं।

तिवारी ने दावा किया, ‘‘कई प्रदेशों में एसआईआर हो रहा है, लेकिन निर्वाचन आयोग के पास यह कवायद कराने का कोई कानूनी आधार नहीं है।’’

उन्होंने कहा कि सरकार को सदन के पटल पर रखना चाहिए कि किन निर्वाचन क्षेत्रों में गड़बड़ी है और एसआईआर किन कारणों से हो रहा है।

उनका कहना था, ‘‘देश को यह जानने का हक है कि यह एसआईआर किस आधार पर हो रहा है।’’

तिवारी ने कहा कि एसआईआर को बंद कराने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि अगर पहले कुछ गलत हुआ है तो उसके आधार पर आज की गलती को सही नहीं ठहराया जा सकता।

कांग्रेस नेता ने कहा कि निर्वाचन आयोग को एसआईआर कराने का अधिकार है या नहीं, इस बुनियादी सवाल पर चर्चा नहीं हो रही।

तिवारी का कहना था, ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण है कि न्यायपालिका में इस सवाल पर विचार नहीं हुआ।’’

उनका कहना था कि आयोग को मतदाता सूची से संबंधित मशीन से पढ़ने योग्य डेटा उपलब्ध कराना चाहिए।

ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) से जुड़ा विषय उठाते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मैं नहीं कर रहा हूं कि ईवीएम के साथ छेड़छाड़ हो रही है, लेकिन लोगों में यह चिंता है कि ईवीएम से छेड़छाड़ हो सकती है।’’

कांग्रेस नेता ने इस बात पर जोर दिया कि या तो 100 फीसदी वीवीपैट की गणना हो या फिर से मतपत्र से मतदान की ओर लौटा जाए।

उन्होंने कहा कि कानून में संशोधन करके यह प्रावधान शामिल करना चाहिए कि कर्ज लेने की एक निश्चित सीमा को पार करने वाले प्रदेश चुनावों से पहले नकदी का हस्तांतरण नहीं कर सकते।

तिवारी ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘राष्ट्रीय खजाने से आप चुनाव नहीं जीत सकते, आप लोकतंत्र को दिवालिया नहीं बना सकते।’’

उन्होंने कहा कि भारत में उस वक्त सभी लोगों को मताधिकार दिया गया जब कई प्रमुख देशों में कुछ चुनिंदा लोगों को ही वोट देने का अधिकार था।

तिवारी ने यह भी कहा कि आजाद भारत में सबसे बड़ा चुनाव सुधार पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के समय हुआ था जब मतदान की आयुसीमा 21 साल से घटाकर 18 वर्ष की गई।

उन्होंने कहा कि संविधान निर्माताओं ने कहा था कि देश में अलग-अलग समय पर अलग-अलग चुनाव हो सकते हैं, ऐसे में ‘एक देश, एक चुनाव’ का कोई औचित्य नहीं बचता।

भाषा हक हक वैभव

वैभव


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