नयी दिल्ली, 10 सितंबर (भाषा) गोवा में 2022 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) के प्रचार के लिए नकद विनिमय का कथित रूप से ‘‘प्रबंधन’’ करने वाले चानप्रीत सिंह रायत को जमानत देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस दलील का संज्ञान लिया कि वह अतीत में कई अन्य राजनीतिक दलों के लिए ‘फ्रीलांसर’ के तौर पर काम कर चुके हैं।
उच्च न्यायालय ने कहा कि यह जो दावा किया गया है कि रायत ने अपराध की कमाई के एक हिस्से का इस्तेमाल किया है, उसका सुनवाई के दौरान ठोस सबूतों से सत्यापन जरूरी है तथा जिस पैसे का स्रोत अज्ञात है, उसका महज व्यय उनके खिलाफ ‘मजबूत मामला’ प्रदर्शित नहीं करता है।
न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने कहा, ‘‘उसके (रायत के) द्वारा यह बताया गया कि वह ‘फ्रीलांसर’ है और अतीत में भाजपा, तृणमूल कांग्रेस आदि जैसे राजनीतिक दलों के लिए काम कर चुका है। विभिन्न राजनीतिक दलों के लिए एक ‘फ्रीलांसर’ के रूप में उसके कार्य की प्रकृति को देखते हुए, जो वह अतीत में करता रहा है, यह नहीं कहा जा सकता कि याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई मजबूत मामला है और वह भी केवल इसलिए कि उसने गोवा के चुनाव में प्रचार कार्यक्रमों के लिए कुछ राशि खर्च की, जिसका स्रोत निश्चित नहीं है।’’
न्यायमूर्ति कृष्णा ने कहा, ‘‘अंगड़िया (हवाला ऑपरेटर) और अन्य व्यक्तियों के बयान को मुकदमे के दौरान ठोस सबूतों से पुष्टि करना आवश्यक है कि याचिकाकर्ता ने जो 45 करोड़ रुपये खर्च किए, वे वास्तव में अपराध की कमाई का हिस्सा थे और यह तथ्य याचिकाकर्ता को पता था।’’
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अनुसार, दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 को संशोधित करते समय अनियमितताएं की गईं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया।
ईडी के अनुसार, रायत ने 2022 के गोवा विधानसभा चुनाव के लिए आप के अभियान के लिए नकद धन का प्रबंधन किया और 45 करोड़ रुपये प्राप्त किए जो अपराध की आय का हिस्सा था।
भाषा
राजकुमार नेत्रपाल
नेत्रपाल
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