नयी दिल्ली, 10 दिसंबर (भाषा) किसानों के प्रदर्शन स्थल में से एक सिंघू बॉर्डर पर शुक्रवार को सीढ़ी, तिरपाल, डंडे और रस्सियां बिखरी पड़ी थीं क्योंकि कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन खत्म होने के बाद किसानों ने अपने तंबू उखाड़ लिए, अपना सामान बांध कर उन्हें ट्रकों पर लादना शुरू कर दिया है।
जोश पैदा करने के लिए वे लगातार ‘बोले सो निहाल’ का नारा लगा रहे थे। 40 किसान यूनियन की संस्था संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने बृहस्पतिवार को प्रदर्शन खत्म करने की घोषणा की थी। केंद्र के कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर एक साल पहले उन्होंने विरोध प्रदर्शन शुरू किया था।
सरकार द्वारा विवादास्पद कानूनों को वापस लेने के हफ्तों बाद किसान शनिवार की सुबह घर जाएंगे। युवा और बुजुर्गों ने पिछले एक साल में दिल्ली-करनाल सड़क के लंबे धूल भरे खंड पर बनाए गए मजबूत अस्थायी ढांचे को तोड़ने के लिए हाथ मिलाया।
पंजाब के फरीदकोट के किसान जस्सा सिंह (69) ने कहा, ‘‘अधिक लोगों का मतलब है कि यह जल्दी खत्म हो जाएगा। हमारे पास उन्हें बनाने के लिए पर्याप्त समय था, लेकिन हम कल चले जाएंगे। इसलिए, जल्दी है… मैंने अपने जीवन में बहुत घी खाया है। मुझमें 30 वर्ष के व्यक्ति जितना जोश हैं।’’
जैसे ही पुरुषों ने कपड़े और गद्दे बांधे और उन्हें ट्रकों पर लादा, महिलाओं ने दोपहर का भोजन तैयार किया। पंजाब के जालंधर की 61 वर्षीय माई कौर ने कहा, ‘‘गैस स्टोव और बर्तन आखिर में पैक किए जाएंगे। हमें अभी रात का खाना और कल का नाश्ता बनाना है।’’
टूटे हुए ढांचे के चारों ओर कार्डबोर्ड, थर्मोकोल, लोहे के तार की जाली, पीवीसी शीट और मच्छरदानी बिछा दी गई है। युवाओं ने घर वापसी की तैयारी में ट्रैक्टरों का निरीक्षण किया, ट्रॉलियों की सफाई की। वे दोपहर का भोजन, चाय या नाश्ता करने के लिए रुकते हैं और फिर वापसी की तैयारी में लग जाते हैं।
भाषा सुरभि नरेश
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