प्रतिमा से लेकर स्टेडियम व अस्पताल तक: दुनिया भर में फैले स्मारक आंबेडकर की विरासत के प्रमाण हैं

प्रतिमा से लेकर स्टेडियम व अस्पताल तक: दुनिया भर में फैले स्मारक आंबेडकर की विरासत के प्रमाण हैं

प्रतिमा से लेकर स्टेडियम व अस्पताल तक: दुनिया भर में फैले स्मारक आंबेडकर की विरासत के प्रमाण हैं
Modified Date: April 14, 2025 / 04:56 pm IST
Published Date: April 14, 2025 4:56 pm IST

(गुंजन शर्मा)

नयी दिल्ली, 14 अप्रैल (भाषा) संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर के स्मारक महू स्थित उनके जन्मस्थान से लेकर लंदन में उनके निवास तक फैले हुए हैं। साथ ही देश-विदेश में अनेक स्टेडियमों, रेलवे स्टेशनों, कॉलेजों, अस्पतालों का नाम उनके नाम पर है तथा उनकी कई प्रतिमाएं स्थापित हैं जो उनकी विरासत का प्रमाण हैं।

चौदह अप्रैल 1891 को जन्मे आंबेडकर को बाबा साहेब कहा जाता है। वह संविधान सभा की सबसे महत्वपूर्ण प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे, जिसके कारण उन्हें ‘भारतीय संविधान के निर्माता’ की उपाधि मिली।

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इंदौर (मध्य प्रदेश) के पास उनका जन्मस्थान महू अब आंबेडकर नगर के नाम से जाना जाता है। महू में आंबेडकर का एक स्मारक – भीम जन्मभूमि – है। राज्य सरकार ने 1991 में आंबेडकर की 100वीं जयंती पर इस भव्य स्मारक की स्थापना की थी।

उनके नाम पर दो अन्य महत्वपूर्ण स्थान हैं– नागपुर में उनकी ‘दीक्षाभूमि’, जहां आंबेडकर ने अपने हजारों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म अपनाया था और मुंबई में दादर समुद्र तट पर ‘चैत्यभूमि’, जहां उनकी समाधि बनाई गई है।

आंबेडकर की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में स्थित है। इसे ‘सामाजिक न्याय की प्रतिमा’ के नाम से जाना जाता है। यह प्रतिमा 206 फुट ऊंची है और डॉ. बी.आर. आंबेडकर स्मृति वनम (स्मारक) का हिस्सा है।

भारत के बाहर आंबेडकर की सबसे ऊंची प्रतिमा का औपचारिक उद्घाटन 2023 में अमेरिका के मैरीलैंड में किया गया। 19 फुट ऊंची ‘स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी’ को प्रसिद्ध कलाकार और मूर्तिकार राम सुतार ने बनाया है, जिन्होंने गुजरात में सरदार पटेल की प्रतिमा (स्टैच्यू ऑफ यूनिटी) भी बनाई थी।

अमेरिका में कोलंबिया विश्वविद्यालय, जापान में कोयासन विश्वविद्यालय, कनाडा में साइमन फ्रेजर विश्वविद्यालय और ब्रिटेन में लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स उन विदेशी विश्वविद्यालयों में शुमार हैं जहां आंबेडकर की प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं।

अन्य देश जहां आंबेडकर की प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं, उनमें अजरबैजान, हंगरी, मॉरीशस, मेलबर्न (ऑस्ट्रेलिया), वियतनाम और थाईलैंड शामिल हैं।

भारत में कई विश्वविद्यालयों के नाम उनके नाम पर हैं जिनमें दिल्ली स्थित डॉ. बी.आर. आंबेडकर विश्वविद्यालय, हरियाणा के सोनीपत और राजस्थान के जयपुर में विधि विश्वविद्यालय, गुजरात और तेलंगाना में मुक्त विश्वविद्यालय, मध्य प्रदेश में सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय तथा बिहार और उत्तर प्रदेश में विश्वविद्यालय शामिल हैं।

लंदन में किंग हेनरी रोड स्थित ‘नंबर 10’ 1921-22 के बीच आंबेडकर का घर रहा था, लेकिन अब यह पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। यह घर दलितों के इस महान नेता के सम्मान में एक स्मारक में तब्दील कर दिया गया और 2015 में इसका औपचारिक उद्घाटन किया गया।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल में राज्य के हर जिले में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए बनाए जाने वाले सभी छात्रावासों का नाम बाबासाहब आंबेडकर के नाम पर रखने की घोषणा की थी।

आंबेडकर नेशनल कांग्रेस तेलंगाना में गठित एक राजनीतिक पार्टी है। यह पार्टी दलितों के अधिकारों के लिए काम करती है। मोहम्मद काज़म अली खान इसके संस्थापक और अध्यक्ष हैं।

आंबेडकर समाज पार्टी और आंबेडकराइट पार्टी ऑफ इंडिया उनके नाम पर स्थापित राजनीतिक संगठनों में शामिल हैं।

राष्ट्रीय राजधानी में स्थित डॉ. आंबेडकर स्टेडियम एक फुटबॉल स्टेडियम है जिसका उद्घाटन 2007 में हुआ था और इसकी क्षमता 35,000 लोगों के बैठने की है। अयोध्या में एक और स्टेडियम बन रहा है, जिसका नाम आंबेडकर के नाम पर रखा गया है।

नागपुर स्थित अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को डॉ. बाबासाहब आंबेडकर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा के नाम से जाना जाता है।

पूर्वी दिल्ली के पटपड़गंज में सड़क के एक हिस्से का नाम आंबेडकर के नाम पर रखा गया है और आंबेडकर को समर्पित एक राष्ट्रीय स्मारक का उद्घाटन भी 2018 में उनकी जयंती की पूर्व संध्या पर यहां 26, अलीपुर रोड पर किया गया था।

कन्नौज मेडिकल कॉलेज का नाम भी आंबेडकर के नाम पर रखा जाएगा। दिल्ली, त्रिपुरा, कर्नाटक (बैंगलोर), उत्तर प्रदेश (नोएडा), छत्तीसगढ़, अमरावती और मुंबई (महाराष्ट्र) समेत कई अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों का नाम भी उनके नाम पर रखा गया है।

दिल्ली के जनपथ पर डॉ. आंबेडकर अंतरराष्ट्रीय केंद्र की स्थापना 2017 में सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन के क्षेत्र में अध्ययन, अनुसंधान, विश्लेषण और नीति निर्माण के लिए उत्कृष्टता केंद्र के रूप में की गई थी।

महू में एक रेलवे स्टेशन, मुंबई में मोनोरेल स्टेशन तथा हैदराबाद और बेंगलुरु में मेट्रो स्टेशनों का नाम भी उनके नाम पर रखा गया है।

भाषा

नोमान मनीषा

मनीषा


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